'इंसाफ़' की तलाश में भारत पहुंची साबरा
१९ जनवरी २००९साबरा उसे सिर्फ़ मोहब्बत और वादों की याद दिलाने नहीं आयी है. वो इंसाफ़ मांगने भी आई है. अफ़गानिस्तान की साबरा काबुल में रेडक्रॉस के दफ़्तर में दुभाषिये का काम करती थी जहां 2005 में उसकी मुलाकात एक भारतीय आर्मी डॉक्टर से हो गयी. मेजर चंद्रशेखर पंत रेडक्रॉस के लिए वहां नियुक्त थे. साबरा से दोस्ती हुई फिर मोहब्बत और देखते ही देखते चंद्रशेखर हिम्मत ख़ान बन गए और अगस्त 2006 में साबरा के शौहर भी.
मेजर ने साबरा को कथित तौर पर बताया कि वो कुंआरे हैं. लेकिन मेजर पंत पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे भी हैं. इस्लाम धर्म क़बूल कर निकाह के 15 दिन बाद ही मेजर साबरा से ये वादा कर भारत वापस आ गए कि अपने घरवालों को इस रिश्ते के लिए मना कर लौटूंगा. 6 महीने तक दोनों की बातचीत होती रही फिर अचानक मेजर का फोन नंबर बदल गया. मेजर के वापस ना लौटने पर साबरा को घर पर मुश्किलों का सामना करना पडा और लोगों के ताने सुनने पड़े. साबरा का मानना है कि लोगों की छींटाकशी तानों और कई तरह की बातों ने एक तरह से उसका हौसला ही बढ़ाया.
लेकिन दुख की इस घड़ी में भी साबरा को इतना याद रहा कि शादी जैसे बंधन के माने क्या होते हैं, प्यार जैसे कोमल शब्द के क्या अर्थ होते हैं और इरादे का इस्पात क्या होता है. कुछ समय तक अपने सब्र का इम्तहान ख़ुद लेने के बाद साबरा ने भारत आने का फ़ैसला किया. स्थानीय अधिकारियों से लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग तक सबको अपनी आप बीती सुनायी. उनके वकील राम कड़िया का कहना है कि साबरा के पास शादी के पुख़्ता सबूत हैं. कड़िया के अनुसार साबरा के पास शादी की सीडी है और निक़ाहनामा भी है.
फिल्हाल सेना मामले की जांच करा रही है. भारतीय सेना में चिकित्सा सेवा के महानिदेशक (डीजीएमएस ) लेफ्टिनेंट जनरल एन के परमार ने कहा है कि मामला सेना के संज्ञान में आ गया है और कानून के मुताबिक जांच का काम होगा और अगर अफ़सर दोषी पाया जाता हैं तो उनके ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई की जाएगी. साबरा के पक्ष में भारत के कई हिस्सों से लोगों ने आवाज़ उठायी है. लेकिन साबरा के कथित शौहर या उनके घरवालों की तरफ़ से फ़िलहाल इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. दम साधे साबरा और बाक़ी लोग इस मामले में किसी फैसलाकुन घड़ी का इंतज़ार कर रहे हैं.