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इटली में त्रिशंकु संसद

२६ फ़रवरी २०१३

इतालवी चुनावों के नतीजें तो आ गए हैं लेकिन इससे देश और पूरे यूरोप में अनिश्चितता बढ़ गई है. पियेर लुइगी बेरसानी के सोशल डेमोक्रैट गठबंधन को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं, लेकिन पूर्ण बहुमत किसी पार्टी को नहीं है.

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तस्वीर: picture alliance/AP Photo

संसद के निचले सदन यानी चैंबर ऑफ डिप्यूटीज (भारतीय संसद के अनुसार लोकसभा के समकक्ष) में बेरसानी की मध्य वामपंथी पार्टी के पास 29.5 प्रतिशत वोटों के साथ सबसे ज्यादा वोट हैं, दूसरे नंबर पर पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी का धड़ा है, जिसके पास 29.1 फीसदी मत हैं.
लेकिन सीनेट यानी ऊपरी सदन (भारतीय संसद के मुताबिक राज्यसभा के समकक्ष) में बर्लुस्कोनी का गठबंधन हावी हो सकता है. एक बात तो साफ है, दोनों में से किसी भी गठबंधन के पास बहुमत नहीं है. सीनेट में सबसे ज्यादा सीटें बेपे ग्रीलो की फाइव स्टार मूवमेंट एम5एस को गए हैं. 25 प्रतिशत वोटों के साथ ग्रीलो की पार्टी ने पक्का कर दिया है कि मध्य वापमंथी और मध्य दक्षिणपंथी कोई भी संसद में हावी नहीं हो सकेगा. इटली पर शासन के लिए संसद के दोनों सदनों में बहुमत की जरूरत है. देश से बाहर के वोटों की गिनती अभी नहीं हुई है.
डेमोक्रैट्स के उप प्रमुख एनरीको लेता ने कहा, "नतीजों से बिना बहुमत वाला सीनेट बना है. यह एक ऐसी स्थिति है जो हमें चरम पर ला चुकी है, जिसे इस देश ने कभी नहीं देखा. इसलिए अब जिम्मेदारी से काम लेना होगा, जो हम हमेशा से कहते आ रहे हैं. दोबारा चुनाव मेरे हिसाब से सही रास्ता नहीं होगा."
लेता के बयान का मतलब हो सकता है कि सोशल डोमोक्रैट बर्लुस्कोनी के साथ मिल सकते हैं. इसके अलावा उनके पास चारा भी नहीं है. इस स्थिति के जिम्मेदार कुछ हद तक पूर्व प्रधानमंत्री मारियो मोंटी की पार्टी का बुरा प्रदर्शन भी है. उनकी पार्टी सिर्फ 10 फीसदी वोटों के साथ चौथे नंबर पर है. लेकिन मोंटी फिर भी संतुष्ट हैं. वह कहते हैं कि चार जनवरी से उन्होंने शुरुआत की और 50 दिनों में करीब 32 लाख लोगों ने उन्हें समर्थन दिया.
चुनाव के विजेता के तौर पर केवल बेपे ग्रीलो हैं. कॉमेडियन रहे ग्रीलो ने एक इंटरनेट चैनल के जरिए कहा कि उनका मानना है कि मध्य वामपंथी और दक्षिणपंथी दलों का एक बड़ा गठबंधन हो सकता है. "हां, मुझे पता है कि हमारी पार्टी एक बड़ा अडंगा है. हमारे खिलाफ वह कुछ नहीं कर सकते. तो वे आराम से बैठे और सात आठ महीने कुछ भी करते रहें और आपदा को बुलावा देते रहे. लेकिन हम कोशिश करेंगे कि इस पर नियंत्रण रखा जा सके."
विश्व वित्तीय बाजार में भी इटली में अनिश्चितता झलक रही है. इटली यूरो क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन हाल के दिनों में गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है.
रिपोर्टः श्टेफान ट्रोएंड्ले, रॉयटर्स, डीपीए/एमजी
संपादनः ए जमाल

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