इटैलियन राजदूत नहीं छोड़ सकते भारत
१४ मार्च २०१३सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में यह सवाल उठाया है कि क्या इटली के राजदूत डानिएल मानसिनी ने कूटनीतिक विशेषाधिकार का उल्लंघन किया. याचिका दायर करने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी कहते हैं, "इस विवाद ने लोगों के भरोसे को हिला दिया है, उन्हें लग रहा है कि क्या विदेशी ताकतें सुप्रीम कोर्ट को इतने हल्के में ले सकती हैं. यह बहुत गंभीर अवमानना है."
दरअसल इटली के दो नौसैनिकों मासिमिलानो लाटोरे और सल्वाटोरे गिरोने पर दो भारतीय मछुआरों की हत्या का मुकदमा चल रहा है. दोनों पर गैरइरादन हत्या के आरोप लगाए गए हैं. आरोपी नौसैनिक 15 फरवरी 2012 से भारत में थे. इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने नौसैनिकों को इटली के संसदीय चुनावों में हिस्सा लेने के लिए विशेष छुट्टी दी. इटली ने वादा किया था कि आरोपी चार हफ्ते की छुट्टी के बाद भारत लौट आएंगे, लेकिन अब इटली ने नौसैनिकों को भारत भेजने से इनकार कर दिया है.
इटली सरकार के फैसले से भारतीय नेता नाराज हैं. रोम के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कहा जा रहा है. भारतीय संसद में इस पर तीखी बहस हो चुकी है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को अपने शांत स्वभाव के उलट कड़ी भाषा का प्रयोग किया. प्रधानमंत्री ने कहा, इटली ने "कूटनीतिक संवाद के हर नियम को तोड़ा है." सिंह ने साफ चेतावनी देते हुए कहा कि अगर नौसैनिक भारत नहीं लौटे तो 'हमारे और इटली के रिश्तों पर इसका असर पड़ेगा.'
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी राजदूत के भारत छोड़ने पर अस्थाई रोक लगा दी. सुप्रीम में इतालवी नौसैनिकों का बचाव कर रहे है वकील विप्लव शर्मा ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा, "मुख्य न्यायाधीश ने इटली के राजदूत को नोटिस भेजा है जिसमें कहा गया है कि वह देश न छोड़ें और राजदूत से 18 मार्च तक जवाब मांगा गया है."
इस बीच गुरुवार को ही भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, "हमें कदम उठाने ही हैं. इसका सवाल ही नहीं उठता कि हम कोई कदम नहीं उठाएंगे. इसे इस इच्छाशक्ति से हल किया जाएगा कि हमें नुकसान न हो."
कड़े कदमों के तहत भारत इटली के राजदूत को वापल भेज सकता है. फिलहाल 22 मार्च का इंतजार किया जा रहा है. 22 मार्च को आरोपी नौसैनिकों की सुप्रीम कोर्ट में पेशी की तारीख है.
इसी साल जनवरी में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि भारत नौसैनिकों के खिलाफ मुकदमा चला सकता है. इटली ने फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि फायरिंग अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में हुई हैं. ऐसे में मुकदमा रोम में भी चलाया जा सकता है. भारत का कहना है कि फायरिंग उसके जलक्षेत्र में हुई है. हालांकि फायरिंग कहीं भी हुई हो कानूनन उससे संबंधित मुकदमा दोनों देशों में चल सकता है.
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)