इन चुनौतियों को नकार नहीं सकते पुतिन
व्लादिमीर पुतिन साल 2024 तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे. स्टालिन के बाद रूस में पुतिन सबसे ज्यादा समय तक राष्ट्रपति रहने वाले नेता बन गए हैं. लेकिन बतौर राष्ट्रपति पुतिन, आर्थिक मोर्चे पर इन चुनौतियों को नकार नहीं सकेंगे.
कुशल कामगारों की कमी
वर्तमान में रूस की जनसंख्या तकरीबन 14.6 करोड़ है. साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद देश की जनसंख्या में 50 लाख की कमी आई. इसके बाद के सालों में जन्म दर भी कम रही. लेकिन अब साल 1991 के दौर के बाद की पहली पीढ़ी बाजार में प्रवेश कर रही है जिसे काबिल श्रमशक्ति की कमी झेलनी पड़ सकती है. विशेषज्ञों की राय मे इसका नजर देश के आर्थिक विकास पर भी दिख सकता है.
रिटायरमेंट की उम्र
रूस में रिटायरमेंट की उम्र महिलाओं के लिए 55 वर्ष तो पुरुषों के लिए 60 वर्ष है. यह दुनिया में सबसे कम है. लेकिन देश में पेंशन भी कम है. जनसंख्या में आ रही कमी ने देश के फेडरल बजट पर बोझ बढ़ा दिया है. पुतिन कई मौकों पर सुधारों की बात कहते रहे हैं. हालांकि देश का एक उदारवादी धड़ा रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा कर 63 साल करने की वकालत करता है. बढ़ती महंगाई के बीच कम पेंशन यहां एक बड़ा मुद्दा है.
आकर्षक विदेशी निवेश
विशेषज्ञों की राय में रूस के सामने विदेशी निवेश का आकर्षक ठिकाना बनना एक बड़ी चुनौती है. आकर्षक निवेश पाने के लिए सरकार को देश के भीतर कारोबारी माहौल बेहतर करना होगा साथ ही नौकरशाही में भी कमी लानी होगी. कुछ लोग तो यह भी मान रहे हैं अमेरिका के प्रतिबंधों का रूस ने अब तक इसलिए कोई जवाब नहीं दिया है क्योंकि वह विदेशी निवेशकों को कोई गलत संदेश नहीं देना चाहता.
तलाशने होंगे नए मौके
रूस के अल्फा बैंक मुताबिक, "देश की अर्थव्यवस्था बुनियादी रूप से कमोडिटी सेक्टर पर निर्भर करती है, जो विकास दृष्टिकोण के लिए स्पष्ट रूप से नकारात्मक है." लेकिन अब इस निर्भरता को कम करने के लिए छोटे और नए कारोबारों में निवेश को बढ़ाना होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक रूस को रोबोटिक्स, स्मार्ट तकनीकों समेत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी प्रोत्साहित करना चाहिए.
ठोस आर्थिक तंत्र
निवेश सलाहकार कंपनी मेक्रो एडवाजरी के संस्थापक क्रिस वेफर के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है. जिसका एक कारण सोवियत संघ के विघटन के बाद आई कमजोरी है तो दूसरा देश को तेल क्षेत्र में होने वाली आसान कमाई. लेकिन अब देश के आर्थिक तंत्र को ठोस बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है. हालांकि सरकार ने बड़ी कंपनियों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाओं को लॉन्च किया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.