इस्राएल को पनडुब्बी बेचने पर जर्मनी में भारी विवाद
६ जून २०१२जर्मनी की प्रसिद्ध पत्रिका 'डेयर श्पीगल' का कहना है कि जर्मनी की मदद से अब इस्राएल परमाणु हथियारों का समुद्र में इस्तेमाल करने में भी सक्षम हो गया है. जर्मन सरकार रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं देना चाहती है. लेकिन सरकार के प्रवक्ता श्टेफान जाईबर्ट ने कहा कि इस तरह की सट्टेबाजी में सरकार नहीं उलझेगी कि सप्लाई करने के बाद पनडुब्बियों का क्या इस्तेमाल होगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया की जर्मनी ने सिर्फ तीन पनडुब्बियों को बिना किसी हथियार के इस्राएल को दिया है. विपक्ष का कहना है कि जर्मन सरकार हालात की अनदेखी कर रही है और कि उसे पता था कि इस तरह की आधुनिक तकनीक इस्राएल को बेचने का क्या अंजाम हो सकता है. माना जाता है कि इस्राएल के पास 200 से 300 परमाणु अस्त्र हैं, हालांकि इसके बारे में इस्राएल के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा बात नहीं की जाती है क्योंकि इस्राएल को औपचारिक तौर पर परमाणु शक्ति नहीं कहा जाता. वहीं मध्यपूर्व में इस्राएल इकलौती परमाणु शक्ति है.
इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने कहा कि जर्मनी से मिली पनडुब्बियां 'देश की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.' उन्होंने जर्मनी के सबसे लोकप्रिय अखबार 'बिल्ड' को यह भी बताया कि ऐसा करने के साथ 'जर्मनी ने इस्राएल की रक्षा को लकर अपनी प्रतिबद्दता एक बार फिर स्पष्ट की है'. जर्मनी ने वादा किया है कि वह इस्राएल को 2017 तक और तीन पनडुब्बियां बेचेगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि एक पनडुब्बी का दाम 40 करोड़ यूरो यानी करीब 27 अरब रुपये है. यानी इस्राएल के साथ यह समझौता आर्थिक रूप से जर्मनी के लिए बहुत मायने रखता है. यह भी कहा जाता है कि इस्राएल के अलावा तुर्की, ग्रीस और दक्षिण कोरिया ने भी पनडु्ब्बियां खरीदी हैं. पाकिस्तान के साथ डील अमल में नहीं लाई गई.
विपक्ष का विरोध
जर्मनी की वामपंथी पार्टी के ग्रेगोर गीजी ने समझौते की आलोचना करते हुए कहा कि 'जर्मनी के इस्राएल के साथ विशेष रिश्तों और दुखद अतीत की वजह से बहुत सी चीजों को जायज ठहराया जा सकता है, लेकिन इस तरह की पनडुब्बियों की बिक्री ठीक नहीं है.' ग्रीन पार्टी का कहना था कि इस्राएल ने गाजा पट्टी में वहां रह रहे लोगों की स्थिति को सुधारने के लिए जो वादे किए थें उनका पालन नहीं किया. वैसे, जर्मनी और इस्राएल के बीच पिछले महिनों में तनाव बढा हैं. अप्रैल में जर्मन लेखक और नोबेल पुरस्कार विजेता गुएंथर ग्रास ने एक कविता लिखी की थी जिसमें उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस्राएल इरानी लोगों को एक झटके में अपने परमाणु हथियारों के साथ खत्म कर सकता है. जर्मन चांसेलर आंगेला मैर्कल ने भी प्रधानमंत्री नेतान्याहू की आलोचना करते हुए उनके कब्जे वाले इलाके में यहूदियों को बसाने की नीति गलत बताई थी. हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 70 फीसदी जर्मनों को ऐसा लगता है कि इस्राएल सिर्फ अपने ही हितों को आगे बढाना चाहता है और दूसरों की परवाह नहीं करता. प्रधानमंत्री नेतान्याहू ने कहा कि ऐसे सर्वेक्षण इस बात का नतीजा हैं कि दुनिया भर में दिन रात इस्राएल की आलोचना की जाती है, जबकी इस्राएल को इरान से बड़ा खतरा है और जो भी वह कर रहा है वह आत्मरक्षा के लिए कर रहा है.
रिपोर्टः नीना वेर्कहोएजर/ पीई (एएफपी)
संपादनः आभा मोंढे