इस्राएल में छिड़ी ईरान पर हमले की बहस
८ नवम्बर २०११हाल ही में इस्राएल के राष्ट्रपति शिमोन पेरेज को भी इस बहस का हिस्सा बनते हुए देखा गया. पेरेज ने कई टीवी चैनलों पर इस बारे में इंटरव्यू दिए और अपना पक्ष रखा. शुक्रवार को उन्हें पहली बार टीवी पर यह कहते हुए सुना गया कि ईरान केवल इस्राएल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया है. रविवार को उन्होंने इस्राएल के सरकारी रेडियो पर एक इंटरव्यू में यही बात दोहरायी. पेरेज ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम दुनिया भर के देशों से अपील करें कि वे ईरान को परमाणु हथियारों का प्रयोग करने से रोकें. पेरेज के अनुसार अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके लिए प्रतिबद्ध है, "ऐसा करने के लिए उनके (अंतरराष्ट्रीय समुदाय के) पास बहुत से जरिए हैं. ईरान पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, तेल के निर्यात पर रोक लगा कर भी दबाव बनाया जा सकता है. उनके हाथ में हर तरह की संभावनाएं हैं. कुछ ऐसी भी हैं, जिनका मैं फिलहाल नाम नहीं लेना चाहता. लेकिन उन्हें जिम्मेदारी दिखानी होगी, क्योंकि ईरान सिर्फ इस्राएल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है." पेरेज ने यह भी कहा कि इस्राएल अकेला कोई कदम नहीं उठाएगा. वह अपने सहयोगी राष्ट्रों के साथ मिल कर ही ईरान पर दबाव बनाना चाहता है.
इस्राएल की खुफिया एजेंसियों के कई पूर्व अध्यक्ष और जानकार मानते हैं कि इस्राएल अकेले ही ईरान पर हमला करने के लिए तैयार है. इस्राएल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी के पूर्व अध्यक्ष मीर दगान का कहना है कि यदि इस्राएल ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तो यह उसकी सबसे बड़ी मूर्खता होगी. सेना के पूर्व जनरल अमीरन लेविन ने रविवार को रेडियो इंटरव्यू में कहा, "मुझे लगता है कि इस्राएल को इस बारे में सोचना चाहिए कि मध्यपूर्व में एक संतुलन बना रहे. हम इस विशाल अरब, इस्लामी सागर में एक बूंद के समान हैं और हमें यहां का संतुलन बिगाड़ने का कोई हक नहीं है. हमें ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिसके परिणाम कई सालों तक हमें परेशान करें." लेविन ने कहा कि इस्राएल को दुनिया का रखवाला बनने के कोशिश नहीं करनी चाहिए, "हम उसके लिए बहुत छोटे हैं और दुनिया के गलत हिस्से में जी रहे हैं और यह एक बड़ी गलती साबित हो सकती है."
नेतन्याहू की चुप्पी
वहीं इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने बहस की शुरुआत से ही चुप्पी साधी हुई है. पिछले एक हफ्ते से उनका इस विषय पर कोई बयान नहीं आया है. स्थानीय मीडिया का मानना है कि नेतन्याहू ईरान पर हमला करने का मन बना चुके हैं. अखबार हेरेत्ज के अनुसार वह विदेश मंत्री अविकदो लीबरमन और रक्षा मंत्री एहुद बराक के साथ मिल कर रणनीति तैयार कर रहे हैं. एहुद बराक पिछले कुछ दिनों से लंदन के संपर्क में हैं. अखबार गार्डियन के अनुसार ब्रिटिश सेना भी ईरान पर हमला करने की तैयारी में है. सीएनएन को दिए इंटरव्यू में बराक ने कहा, "ईरान तय कर चुका है कि वह परमाणु शक्ति बनना चाहता है. और कोई उसके रास्ते में ना आए, इसके लिए वह छल कपट करने के लिए भी तैयार है. मुझे लगता है कि यह बेहद जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका विरोध करने का निश्चय करे, भले ही वह कूटनीति के जरिए हो, रोक के जरिए या और किसी भी तरह." बराक के अनुसार विरोध के तरीकों में सैन्य कार्रवाई का विकल्प शामिल होना भी जरूरी है.
इसी हफ्ते अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक रिपोर्ट पेश करेगी. हालांकि यह रिपोर्ट अब तक आई नहीं है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि रिपोर्ट के अनुसार तेहरान परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल केवल शांति कार्यों के लिए ही नहीं, बल्कि परमाणु हथियार बनाने के लिए करना चाहता है.
रिपोर्ट: बेटीना मार्क्स/ ईशा भाटिया
संपादन: ए कुमार