इस्लामिक पुलिस का विरोध
६ फ़रवरी २०१०इंडोनेशिया दुनिया का सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि कमोबेश एक धर्मनिरपेक्ष देश की है. लेकिन उसके स्वायत्त प्रांत आछे में शरिया क़ानून चलता है.
2002 में अलगाववादी मुसलमानों और सेना के बीच संघर्ष को खत्म करने के उद्देश्य से आछे में शरिया लागू करने का अधिकार दिया गया. इस्लामी क़ायदे को पूरी तरह लागू करने अलावा वहां पुलिस को अधिकार है कि अगर वह किसी अविवाहित जोड़े को देखें तो उन्हें पकड़ सकती है.
दिल्ली के जवाहरलाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गंगानाथ झा का कहना है कि आछे में लोग शांति चाहते हैं और शांति के लिए एक ही शर्त है और वह है कि यहां शरियत को मंज़ूरी दी जाए. 2002 से आज तक आछे की पुलिस क़रीब 126 लोगों को सख़्त सज़ा दे चुकी है. इनमें अविवाहित लड़के लड़कियों के साथ जुआरी और नशा करने वाले भी शामिल हैं. इसके बाद वहां के लोग बार बार शरिया पुलिस को हटाए जाने की मांग करते रहे हैं.
हाल ही में 20 साल की एक छात्रा के साथ जेल में हुए सामूहिक बलात्कार में पुलिसकर्मियों का हाथ पाया गया जिसके बाद शरिया पुलिस को ख़त्म करने की मांग और तेज़ हो गई है. प्रांत में काम कर रहे कई मानवाधिकार कार्यकर्ता भी लोगों की इस मांग को सही मानते हैं.
जहां फ़ेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आछे में हुए बलात्कार के बाद से शरिया क़ानून हटाए जाने के लिए मुहिम चल रही है, वहीं प्रांत के उप गवर्नर मुहम्मद नज़र का कहना है कि यह उन तीनों पुलिसकर्मियों की ग़लती है, पूरी व्यवस्था की नहीं.
रिपोर्टः तनुश्री सचदेव
संपादनः आभा मोंढे