ई कोलाई का कहर कम
८ जून २०११जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री डानिएल बार ने बताया कि ई कोलाई की विशेष खतरनाक प्रजाति ईहेक का संक्रमण घट रहा है. वैसे तो नए मामले सामने आएंगे और बुरी बात यह भी है कि इस संक्रमण से मौत भी होने की आशंका है लेकिन नए मरीजों की संख्या लगातार कम हो रही है. सब कुछ एकदम ठीक नहीं है लेकिन ताजा आंकड़ों से उम्मीद बढ़ी है.
चूंकि शुरुआत में ई कोलाई संक्रमण का जिम्मेदार खीरे, टमाटर और सलाद की पत्तियों को ठहराया गया इसलिए स्पेन, नीदरलैंड्स और जर्मनी में किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. टनों खीरे और टमाटर फेंक दिए गए. इस नुकसान की भरपाई पर बात करने के लिए यूरोपीय संघ के कृषि मंत्रियों की मंगलवार को लक्जमबर्ग में बैठक में हुई.
मुआवजे का वादा
यूरोपीय संघ के कृषि आयुक्त डासियान सिओलोस ने कहा, "मैं इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करूंगा और बेहतर प्रस्ताव के साथ लौटूंगा. वह सुधार ठोस, संतुलित और न्यायपूर्ण होगा." सिओलोस ने यूरोपीय संघ के कृषि मंत्रियों की विशेष बैठक के बाद यह कहा.
ई कोलाई संक्रमण के कारण 22 लोगों की जान जा चुकी है और इनमें एक को छोड़ कर सभी जर्मनी के हैं. इस संक्रमण से 13 देशों में 2,700 लोग बीमार हुए हैं. शुरुआत में इसके संक्रमण का कारण स्पेन से आए खीरे को बताया गया. उसके बाद उत्तरी जर्मनी के एक अंकुरित अनाज फार्म पर शक की सुई गई. लेकिन वहां भी संक्रमण नहीं मिला.
जांचकर्ता सिर्फ इतना ही बता पा रहे हैं कि कोई कच्ची सब्जी इसका कारण है लेकिन कौन सी, इस बारे में पता नहीं चल रहा है.
जर्मन और वैश्विक स्वास्थ्य संगठन इस कीटाणु को एंटेरोहीमोरेजिक एश्चेरिशिया कोलाई (ईहेक) बताते हैं तो यूरोपीय संघ में इसे शिगा जहर पैदा करने वाला ई कोलाई यानी एसटीईसी कहा जाता है.
पूरी भरपाई नहीं
स्पेन में खीरा उगाने वाले किसानों को टनों खीरा फेंकने के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि यूरोपीय संघ खासकर जर्मनी में लोग सलाद खाने से कतरा रहे हैं. जर्मनी और यूरोप में स्वस्थ खाने के बहाने खीरा खूब खाया जाता है.
हालांकि जितने मुआवजे की घोषणा की गई है उससे किसानों के नुकसान की पूरी भरपाई तो नहीं होगी लेकिन कुछ राहत शायद मिले. ईयू कृषि आयुक्त ने वादा किया है कि वह मुआवजे के मामले में नया प्रस्ताव पेश करेंगे और अगले सप्ताह तक कोई फैसला हो सकेगा.
आरोप प्रत्यारोप
इधर जर्मनी में ई कोलाई के कारणों का पता नहीं लग पाने के कारण सरकार की कड़ी आलोचना की जा रही है. कहा जा रहा है कि जर्मन प्रणाली की गलती के कारण यह हुआ है. विपक्ष का आरोप है कि 16 राज्यों में खाद्य सुरक्षा में ढिलाई बरती जा रही है.
ग्रीन पार्टी की रिनाटे क्यूनास्ट ने कहा, "जर्मन सरकार का आपात प्रबंधन बहुत ही बुरा रहा है. उपभोक्ता नहीं जानते हैं कि उन्हें क्या करना है और वैज्ञानिकों को मदद नहीं मिल रही."
वहीं जर्मनी में संक्रमणकारी बीमारियों की जांच के लिए सबसे अच्छी संस्था रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ने खुद का बचाव करते हुए कहा है कि उससे कोई चूक नहीं हुई है और वह जांच के आधे अधूरे नतीजों का खुलासा करने के लिए किसी के साथ नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए जमाल