ईरान को सऊदी अरब की चेतावनी
१३ अक्टूबर २०११वियना में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस सऊद अल फैसल ने कहा, "उनके द्वारा हमारे खिलाफ उठाए गए किसी भी कदम का उचित जवाब दिया जाएगा. हम इस तरह के दबाव में नहीं आएंगे." अल फैसल के मुताबिक यह पहला मामला नहीं है जब ईरान को संदिग्ध की तरह देखा जा रहा है. जब उनसे यह पूछा गया कि सऊदी अरब किस तरह के ठोस कदम उठाएगा तो जवाब मिला, "हमें इंतजार करना है और देखना होगा."
धार्मिक मामलों के एक सम्मेलन में हिस्सा लेने ऑस्ट्रिया पहुंचे सऊदी विदेश मंत्री की इस चेतावनी के बाद ताकतवर खाड़ी देशों में बैर भावना बढ़ गई है. इससे पहले बुधवार को लंदन में सऊदी प्रिंस तुर्की अल फैसल ने कहा, "ईरान में किसी को इसकी कीमत जरूर चुकानी होगी." सऊदी अरब में यह बहस छिड़ गई है कि हज के लिए मक्का आने वाले ईरानियों को कम वीजा दिए जाएं. ईरान से राजदूत को वापस बुलाने की संभावनाओं पर भी चर्चा हो रही है.
सऊदी अरब को यह चिंता भी सता रही है कि अगर परमाणु कार्यक्रम के जरिए ईरान ने एटम बम बना लिया तो खाड़ी में शक्ति संतुलन गड़बड़ा जाएगा. तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के इन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का असर लेबनान, इराक और बहरीन पर भी पड़ सकता है. इन देशों में स्थिरता के लिए ईरान और सऊदी अरब मिलकर काम कर रहे हैं.
दुबई में रिसर्च एंड कंसल्टेंसी इनेग्मा के डायरेक्टर थिओडोर कारासिक कहते हैं, "इस कदम से खाड़ी में वाकयुद्ध और उलझन एक नए स्तर पर पहुंच जाएगी. पहले से प्रतिद्वंद्वता है और दोनों अन्य पक्षों का भी इस्तेमाल करते हैं."
ईरान में 1979 में हुई इस्लामी क्रांति ने सऊदी अरब से उसके रिश्ते खराब कर दिए. क्रांति से पहले अमेरिका दोनों देशों को खाड़ी की सुरक्षा के 'दो स्तंभ' कहा करता था. क्रांति के बाद ईरान के धार्मिक नेताओं को सऊदी अरब और पश्चिमी देशों की नजदीकी पसंद नहीं आई. तेहरान ने सऊदी अरब के शाही परिवार को पश्चिम के हित पूरा करने वाली भ्रष्ट राजशाही बताया.
तीन दशकों के मतभेदों को अब अमेरिका के दावे से नई आग लगी है. मंगलवार को अमेरिका ने दावा किया कि ईरान के हमलावरों ने वॉशिंगटन में सऊदी अरब के राजदूत की हत्या करने की साजिश रची. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक राजदूत को एक रेस्तरां में मारने की साजिश रची जा रही थी.
ईरान ने आरोपों का खंडन किया है. आरोपों पर ईरान मामलों के कुछ जानकार शंका जता रहे हैं. उनका मानना है कि ऐसी साजिश के पीछे कोई ठोस मंशा नहीं दिखाई पड़ती. विशेषज्ञ कहते हैं कि बीते बरसों में ईरान ने विदेशों में अपने नागरिकों की हत्या जरूर कराई है लेकिन दूसरे देश में किसी अन्य देश के राजदूत को मारना असामान्य कदम सा प्रतीत होता है.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह
संपादन: महेश झा