ईरान पर दबाव के लिए छह पक्षीय बातचीत आज
६ दिसम्बर २०१०जिनेवा में बैठक शुरू होने से ठीक पहले ईरान ने एलान किया है कि परमाणु कार्यक्रम ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है और अब वो घरेलू स्तर पर ही परमाणु ईंधन बनाने में सक्षम है. इसके साथ ही ईरान ने ये भी दोहराया कि उस का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है जिसे वो पश्चिमी देशों के दबाव पर बंद नहीं करेगा.
ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका की 6 और 7 दिसंबर को होने वाली बातचीत से तुरंत कोई बड़ा फैसला होने की उम्मीद नहीं है. कूटनीति के जानकार मान रहे हैं कि ये बातचीत की दिशा में प्रगति का संकेत भर है और मुमकिन है कि आपसी सहमति के लिए अगले साल दोबारा बैठक करने पर समझौता हो जाए.
पश्चिमी देश चाहते हैं कि इरान यूरेनियम संवर्धन करने की प्रक्रिया रोक दे. इस यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन और ऊंचे स्तर पर परमाणु बम बनाने में हो सकता है. उधर ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद का कहना है कि जिनेवा बैठक में बातचीत के लिए ये प्रमुख मुद्दा नहीं है. बातचीत से पहले अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता माईक हैमर ने कहा कि उनका देश और उसके सहयोगी चाहते हैं कि ईरान बातचीत की मेज पर वापस लौटे. हैमर के मुताबिक," परमाणु कार्यक्रम पर अंतरारष्ट्रीय जगत की चिंता को दूर करने के लिए ईरान को गंभीरता से सोचना होगा."
जिनेवा पहुंचने के बाद जब ईरान के परमाणु मामलों के वार्ताकार सईद जलीली से इस बातचीत से उनकी उम्मीदों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था,"सब कुछ दूसरे पक्ष के रवैये पर निर्भर करता है." पिछले कुछ महीनों में पश्चिमी देशों ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंध सख्त कर दिए हैं.पश्चिमी कूटनीतिज्ञों का कहना है कि इन प्रतिबंधों से ईरान की तेल आधारित अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. हालांकि ईरान इससे साफ इंकार करता है. अमेरिका ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन जारी रखता है तो उसके खिलाफ और सख्त प्रतिबंध लगाए जाएंगे और उसे अलग थलग कर दिया जाएगा. अमेरिका का कहना है कि ईरान को रोकने के लिए सैन्य हमले सहित सभी विकल्प खुले हुए है. ईरान के चिर प्रतिद्वंदी इस्राएल ने भी कूटनीतिक तरीकों के नाकाम होने पर सैनिक उपायों से इंकार नहीं किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम