"ईरान पर प्रतिबंध ही इकलौता रास्ता"
९ फ़रवरी २०१०अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स और फ़्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी की सोमवार को पैरिस में बातचीत हुई और दोनों नेता इस बात पर बिल्कुल रज़ामंद दिखे कि ईरान के ख़िलाफ़ और मज़बूत प्रतिबंध लगाने की ज़रूरत है. गेट्स ने कहा कि अगला क़दम विश्व समुदाय को उठाना है. उनके मुताबिक़, " ईरान के नेताओं को यह समझाना है कि उनके दीर्घकालीन हितों के लिए ज़रूरी है कि वे परमाणु हथियार न बनाएं. इस बात को सामने रखते हुए जब तक विश्व समुदाय इस समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहा है, हमें आर्थिक और राजनियक रास्तों को खुला रखना चाहिए."
ब्रिटेन और जर्मनी ने भी ईरान पर और प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. वहीं ईरान के नज़दीकी सहयोगी रूस का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के साथ हुए समझौते के मुताबिक़ ईरान को अपनी यूरेनियम संवर्धन के लिए विदेश भेजनी चाहिए.
इससे पहले आईएईए में ईरान के दूत अली अकबर सालेही ने कहा कि ईरान में 20 प्रतिशत यूरेनियम का संवर्धन शुरू करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र की संस्था को जानकारी दे दी गई है. हालांकि फ़्रांस के विदेश मंत्री बेर्नार्ड कुशनर ने कहा है कि ईरान के पास 20 प्रतिशत यूरेनियम का संवर्धन करने की क्षमता ही नहीं है, वह सिर्फ़ "ब्लैकमेल" करने के लिए इस तरह की बातें कर रहा है. लेकिन अली अकबर सालेही ने कहा कि अपनी क्षमता को दिखाने के लिए ईरान ने यह फ़ैसला किया है. उनके मुताबिक़, "ईरान के नज़रिए से, ईंधन की अदलाबदली होगी. लेकिन पश्चिमी देशों को यह समझाने के लिए ईरानी राष्ट्रपति ने यूरेनियम संवर्धन का आदेश दिया है कि 20 प्रतिशत संवर्धन के ईरान के पिछले दावे खोखले नहीं हैं."
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि संवर्धन शुरू करने की ईरान घोषणा एक भड़काऊ क़दम है जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है. वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ही बड़ी ताक़तों में चीन ही ऐसा देश है जो ईरान के ख़िलाफ़ और प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर वीटो कर सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः ओ सिंह