उत्तर कोरिया पर और अमेरिकी प्रतिबंध
२१ जुलाई २०१०एसियान के सभी सदस्य देशों ने उत्तर कोरिया की भर्त्सना की, लेकिन उसके खिलाफ किसी तरह के प्रतिबंध या रोक लगाने की कोई बात नहीं हुई. दक्षिण पूर्वी एशिया के राजनीतिक समीकरण इसका एक कारण है.
चीन और उत्तर कोरिया के बीच संबंध बहुत अच्छे हैं और वे दोनों सहयोगी देश हैं. दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन का दबदबा कम नहीं है, अब बात आर्थिक महत्व की हो या सामरिक समीकरणों की. ऐसे में एसियान देशों के दस सदस्यों ने उत्तर कोरिया के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है. एसियान के बयान में कहा गया है कि वे जहाज डुबोने के मामले और आपसी तनाव बढ़ने पर खेद प्रकट करते हैं, लेकिन प्योंगयांग की निंदा करना वे एक तरह से रोक रहे हैं.
दक्षिण कोरिया का आरोप था कि उत्तर कोरिया ने उसके एक नौसेनिक जहाज़ पर हमला किया, इसके कारण जहाज डूब गया और छियालीस नाविकों की मौत हो गई.
एसियान देशों की निंदा से भले उत्तर कोरिया छूट गया हो लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने उस पर और प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. ये रोक हथियारों की खरीदी और बिक्री पर है.
क्लिंटन ने कहा कि नए प्रतिबंधों से अमेरिका उत्तर कोरिया की उन अवैध गतिविधियों को रोकना चाहता है जिससे वह अपने हथियारों को खरीदता है. साथ ही उसके भड़काऊ व्यवहार पर भी रोक लगाने की कोशिश की जाएगी.
उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया को अंतरराष्ट्रीय सहायता दी जाएगी और उस पर से प्रतिबंध हटाए जाएंगे बशर्ते वह अपने लड़ाकू व्यवहार पर रोक लगाए.
उधर अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने घोषणा की है कि वह सैनिक जहाज डूबने की प्रतिक्रिया में अतिरिक्त सैनिक ड्रिल्स करेगा. जापान सागर में रविवार से ये सैन्य ड्रिल्स होंगी. चीन ने इस पर आपत्ति जताई है और कहा है कि ये क्षेत्र की स्थिरता के लिए अच्छा नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए कुमार