"उसने मेरी तड़पती हुई पत्नी को चाक़ू घोंपे"
२७ अक्टूबर २००९गहन निराशा और सदमे के बीच बैसाखियों के सहारे एल्वी अली ओकाज़ ड्रेसडेन शहर की अदालत में पहुंचे और उन्होंने जो कुछ बताया, उसे सुन कर कोर्ट में मौजूद कई लोगों की आंखें नम हो गईं. ओकाज़ ने अपने जैकेट पर मारी गई पत्नी मारवा अल शेरबिनी की तस्वीर का बैच लगाया हुआ था.
ओकाज़ ने रुंधे गले से कहा, "मैंने देखा कि उसने अचानक मेरी पत्नी पर हमला कर दिया. मैं बचाने गया तो उसने मुझ पर भी हमला किया. तब मैं समझ पाया कि उसके हाथ में चाक़ू था. मेरी पत्नी ज़मीन पर गिर कर तड़प रही थी लेकिन उसने फिर भी चाक़ू घोंपना बंद नहीं किया. मेरी गर्भवती पत्नी पर उसने कम से कम 16 बार चाक़ू से वार किया." शेरबिनी की हत्या उसके तीन साल के बेटे के सामने कर दी गई थी.
ओकाज़ ने अदालत में मौजूद 29 साल के आरोपी हमलावर को पहचान लिया और कहा कि उसी ने उनकी पत्नी पर हमला किया था. आरोपी रूसी मूल का एक जर्मन नागरिक है, जिस पर ग़ैर यूरोपीय और मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ दुर्भावना से हमले का आरोप लगा है. सुरक्षा वजहों से 29 साल के एलेक्स का पूरा नाम नहीं बताया जा रहा है. एलेक्स पूरा चेहरा और सिर ढंक कर अदालत में पहुंचा. उसने आंखों पर धूप का चश्मा भी लगा रखा था. जज ने जब उससे चेहरा खोलने को कहा तो उसने नहीं माना, जिसके बाद उस पर 50 यूरो का जुर्माना लगाया गया.
एक जुलाई को अदालती कार्रवाई के दौरान ड्रेसडेन की इसी अदालत में हमलावर ने मिस्री मूल की 31 साल की गर्भवती मारवा अल शेरबिनी की चाक़ू घोंप कर हत्या कर दी थी. जब उसके पति ओकाज़ ने उसे बचाने की कोशिश की तो सुरक्षा गार्ड को ग़लतफ़हमी हो गई कि वह ख़ुद अपनी पत्नी पर हमला कर रहा है. इसी उहापोह में गार्ड ने गोली भी चला दी, जो ओकाज़ के पैर में जा लगी.
सोमवार को सुनवाई के पहले दिन अदालत में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई. अदालत परिसर में हवाई अड्डे की तरह सभी चीज़ों की तलाशी ली गई और अदालत में मौजूद कई लोगों ने शेरबिनी की तस्वीर वाले बैज लगा कर अदालती कार्रवाई सुनी.
हमलावर की सुरक्षा के लिए भी ख़ासे इंतज़ाम किए गए थे. बताया जाता है कि इस घटना के बाद उसके जीवन को ख़तरा है. वह एक बेरोज़गार युवक है और बताया जाता है कि अवसाद में है. उस पर ग़ैर यूरोपीय और मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ नफ़रत की भावना रखने के भी आरोप हैं.
यह पूरा मामला पिछले साल 2008 में उस वक्त शुरू हुआ, जब 31 साल की फ़ार्मासिस्ट शेरबिनी अपनी बच्ची के साथ खेलने के एक ग्राउंड पर गई. उसने वहां मौजूद हमलावर से कहा कि वह उसके बेटे को झूले पर झूलने दे. लेकिन आरोपी ने झूले पर से नहीं हटा और शेरबिनी को गंदी गंदी गालियां देने लगा. उस पर ग़ैर यूरोपीय और मुस्लिम होने का ताना कसने लगा. शेरबिनी हिजाब लगाती थी.
घटना के बाद मिस्री मूल की शेरबिनी ने अदालत में शिकायत की और कोर्ट ने आरोपी को दोषी बताते हुए उस पर 780 यूरो यानी लगभग 55,000 रुपये का जुर्माना ठोंका. इसके बाद आरोपी ने मामले में अपील की और दोबारा सुनवाई के दौरान ही एक जुलाई को वह किसी तरह अपने साथ एक चाक़ू ले आया. शेरबिनी उस वक्त तीन महीने की गर्भवती थी. वह जब अदालत में थी, तभी उसने उस पर चाक़ू से वार कर दिए और शेरबिनी के पति ओकाज़ बताते हैं कि ख़ून से लथपथ शेरबिनी ज़मीन पर गिर कर तड़प रही थी, फिर भी हमलावर उस पर वार करता रहा. शेरबिनी ने दम तोड़ दिया.
इस घटना के बाद मुस्लिम जगत में ख़ासा आक्रोश था. शेरबिनी की आख़िरी रस्म मिस्र में अदा की गई और वहां की सरकार ने जर्मनी से अपील की कि हमलावर को कड़ी से कड़ी सज़ा मिले. पश्चिमी यूरोपीय देशों जर्मनी उन देशों में शामिल है, जहां मुस्लिम बड़ी संख्या में रहते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़