एंडरसन के प्रत्यर्पण की नए सिरे से कोशिश का वादा
२५ जून २०१०कैबिनेट ने भोपाल अदालत के उस फैसले को चुनौती देने का भी फैसला किया है जिसके प्रति भारी असंतोष देखा गया है. सरकार के मुताबिक सजा की अवधि और जुर्माने की रकम के मुद्दे पर वह गलतियों को सुधारना चाहती है.
सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दायर करेगी जिसके जरिए 1996 के उस फैसले की समीक्षा करने की अपील की जाएगी जिसमें गैरइरादतन हत्या का मामला हटा कर ऐसी धाराओं में मुकदमा चलाया गया जिसमें सजा का प्रावधान कम है.
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया, "संबंधित अदालतों में अपील दायर की जाएंगी और हाई कोर्ट से खास तौर पर अपील होगी कि डाओ केमिकल्स की जवाबदेही तय करने के लिए सुनवाई जल्द पूरी हो."
एंडरसन के मुद्दे पर सरकार का कहना है कि नए सिरे से प्रत्यर्पण की मांग के लिए जरूरी जानकारी अमेरिका को मुहैया कराई जा सकती है. भारतीय विदेश मंत्रालय एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका से मांग करेगा. भारत इससे पहले कई बार एंडरसन को प्रत्यर्पित करने की मांग अमेरिका से कर चुका है लेकिन अमेरिका ने उस कोई खास ध्यान नहीं दिया है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया कि गैस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को दस लाख रुपये, हमेशा के लिए विकलांग हो गए पीड़ितों को पांच लाख रुपये, हादसे की वजह से गंभीर बीमारियों को शिकार हुए पीड़ितों को दो लाख रुपये और अस्थाई रूप से विकलांग पीड़ितों को एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा.
सरकारी पैकेज के जरिए 45,000 प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का वादा किया गया है. पुनर्वास, राहत सहित अन्य कार्यों के लिए सरकार की ओर से 1,265 करोड़ रुपये की रकम निर्धारित की गई है. 1984 में भोपाल में जहरीली गैस लीक होने से हजारों लोगों की मौत हुई.
भोपाल गैस त्रासदी पर सात जून को आए स्थानीय अदालत के फैसले में आठ आरोपियों को सिर्फ दो दो साल की सजा सुनाई गई जिससे लोगों में रोष है. यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वॉरन एंडरसन किन परिस्थितियों में भारत से अमेरिका रवाना हुए, इस मामले में भी नए रहस्योदघाटन होने से केंद्र सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो रही थी. इसी वजह से मंत्री समूह का गठन किया गया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह