एक अरब लोग भूखे
१७ अक्टूबर २००९इस रिपोर्ट के बारे में संयुक्त राष्ट्र खाद्य संगठन के प्रमुख जैक डियोफ़ कहते हैं कि ऐसा कोई भी देश नहीं जहां कुपोषण की समस्या न हो लेकिन हमेशा की तरह ग़रीब देश ही सबसे ज़्यादा पीड़ित हैं.
कड़वे सच का खुलासा
दुनिया भर में कुपोषण की वज़ह से हर छह सेकेंड में एक बच्चे की मौत हो जाती है और तक़रीबन एक अरब लोग भूखे हैं. संयुक्त राष्ट्र खाद्य संगठन की ताज़ा रिपोर्ट में इस कड़वे सच का खुलासा हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र खाद्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के ग़रीब देशों में खाद्य संकट बेहद गंभीर हैं और वहां एक अरब से भी ज्यादा लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल रहा है. ऐसे में यदि इन देशों की सरकार ने कृषि पर ज़्यादा निवेश नहीं किया तो यह संख्या और ज़्यादा बढ़ सकती है. दक्षिण अफ्रिका में जर्मन एग्रोएक्शन के प्रतिनिधि क्रेबर कहते है "महिलाओं की स्थिति सबसे ज्यादा बदतर है जिन पर परिवार के लिए भोजन बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी होती है."
हालात जस के तस
संयुक्त राष्ट्र खाद्य संगठन ने बताया कि 30 देशों को खाद्य संकट से निबटने के लिए आपातकालीन सहायता की ज़रूरत पड़ सकती है. इनमें से 20 देश अफ़्रीकी महाद्वीप में हैं. 1970 के बाद विश्व को पहली बार इतने बड़े खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है. नौ साल पहले सभी देशों के नेताओं ने 2015 तक भूखे लोगों की संख्या पचास फ़ीसदी कम करने के लक्ष्य रखा था, इसके बावजूद आज स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है.
कई जानकार बताते हैं कि अफ्रीका के कुछ बेहद ग़रीब देशों में अभिवाहक अपने बच्चों को केवल एक दिन का खाना देने के लिए उनके कपड़ों, स्कूल जाने और चिकित्सा से जुड़े बुनियादी खर्च में कटौती कर रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद वह अपने बच्चों का पेट नहीं भर पा रहे हैं. जमन संघटन जी. टी. जेड के प्रमुख हांस योआखिम प्रोयोस कहते हैं "गरीबी भूखमरी का मुख्य वज़ह है.गरीब देशों के सामानों के लिए हमें अपना बाज़ार खोलना होगा."
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे ज्यादा 64 करोड़, सहारा अफ्रीका में 26 करोड़, लैटिन अमेरिका में 5. करोड़ और मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 4. करोड़ और विकसित देशों में लगभग 1.5 करोड़ लोग कुपोषण का शिकार हैं.
विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर दुनिया भर के देशों से आए 300 विशेषज्ञ 2050 तक खाद्द आपूर्ति के बारे में चर्चा करेंगें जब विश्व की जनसंख्या 9 अरब से भी ज्यादा हो जाएगी.
रिपोर्टः एजेंसियां/सरिता झा
संपादनः ए कुमार