एयरबस और बोइंग के सामने रूस और चीन की चुनौती
रूस और चीन में बने यात्री विमानों ने एयरबस और बोइंग के कई दशकों से मशहूर विमानों के लिए चुनौती पेश कर दी है. भले ही आज बोइंग और एयरबस के विमानों में दुनिया सैर करती हो लेकिन आने वाले वर्षों में स्थिति बदल सकती है.
यात्री सेवा के लिए सर्टिफिकेट मिला
रूस ने एमसी-21 विमान बनाया है. इसे दिसंबर 2021 में यात्री सेवा में इस्तेमाल करने के लिए सर्टिफिकेट मिल गया और यह इसी साल से रूस में नियमित उड़ान भरने लगेगा. विमान की दो श्रेणियों में कुल 163 यात्रियों को जगह मिल सकती है. पश्चिमी देशों के जानकार इसे एयरबस की ए 320 नियो से बेहतर और कम खर्चीला बता रहे हैं.
यात्रियों के लिए ज्यादा आराम
विमान की बॉडी पतली होने के बावजूद यात्रियों को इसमें बोइंग ए-320 की तुलना में 11 सेंटीमीटर और बोइंग 737 की तुलना में 21 सेंटीमीटर ज्यादा जगह मिलेगी. हालांकि यह जगह इतनी ज्यादा नहीं है कि एक कतार में छह से ज्यादा सीटें लगाई जा सकें. मतसब साफ है कि यात्रियों के कोहनी रखने के लिए और सीटों के किनारे ज्यादा जगह होगी.
सैकड़ों विमानों के लिए ऑर्डर मिले
कंपनी के पास फिलहाल एमसी-21 के 175 विमानों के ऑर्डर हैं और सैकड़ों विमानों के लिए एमओयू पर दस्तखत हो चुके हैं. रूस की घरेलू एयरलाइनों से ही कंपनी को बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं. कंपनी ने कई और मॉडल भी दुबई में पेश किए है हालांकि उन्हें अभी यात्री सेवा के लिए सर्टिफिकेट नहीं मिला है.
पश्चिमी देशों की कंपनियों पर निर्भर
हालांकि इस विमान को बनाने में रूस को पश्चिमी देशों के बनाए कई हिस्सों की जरूरत होगी जिनसे मिल कर विमान के इंजन और दूसरी चीजें बनेंगी. एमसी-21 का करीब 40 फीसदी हिस्सा ऐसा ही हैं. मौजूदा राजनीतिक हालात में रूस पश्चिमी देशों की सप्लाई पर भरोसा नहीं कर सकता. एक और दिक्कत है कि वह ईरान जैसे देशों के विमान नहीं बेच पाएगा जो उसके बड़े ग्राहक हो सकते हैं.
चीन ने बनाया सी 919
सी 919 को चीन ने बनाया है और इसने भी यात्री सेवा में इस्तेमाल के लिए जरूरी शर्तें पूरी कर ली है. पहले इसे भी इस साल से सेवा में उतारने की तैयारी थी लेकिन अब इसे कुछ और समय के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.
300 से ज्यादा विमानों के ऑर्डर
सी 919 में 158-168 यात्रियों के बैठने की जगह है. इस विमान ने पहली उड़ान 2017 में भरी थी और अब यह यात्री सेवा में उतारे जाने के लिए तैयार है. अब तक कंपनी को 300 से ज्यादा विमानों के लिए ऑर्डर मिल चुके हैं. कंपनी कुछ और मॉडलों पर भी काम कर रही है.
नए जमाने के लिए नए विमान
सी 919 और एमसी-21, दोनों विमान दो इंजन और पतली बॉडी वाले हैं. इन्हें आज के दौर की चुनौतियों को ध्यान में रख कर खासतौर से तैयार किया गया है. इनके मुकाबले बोइंग 737 को 1967 में लॉन्च किया गया था जबकि एयरबस का ए320 पहली बार 1987 में एयरलाइनों के लिए पेश किया गया.
चीन आगे निकल सकता है
चीन में पहले से ही दूसरी कंपनियों के विमान बड़ी संख्या में एसेंबल किए जा रहे हैं. वहां स्थानीय स्तर पर विमानों की मांग भी बहुत ज्यादा है. बाजार के विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चीन के पास विमान तैयार करने का जरूरी कौशल और बुनियादी ढांचा मौजूद है. कई लोग तो इस मामले में उसे यूरोप से बेहतर मानते हैं. ऐसे में कोई हैरानी नहीं कि वह ज्यादा तेजी से आगे निकलेगा.
सर्टिफिकेट मिलने में देरी
चीन ने 2017 में अपना पहला विमान तैयार कर लिया था और उसके बाद छह और विमान तैयार हो चुके हैं. हालांकि उसे अनुमति मिलने में देरी हो रही है. बीते साल से लेकर अब तक कुल 276 टेस्ट फ्लाइट होनी थी लेकिन उनकी महज 34 उड़ानें ही संभव हो पाईं.
एयरबस और बोइंग पर दबाव
यात्री विमानों के आकाश में इन दोनों कंपनियों का दबदबा है लेकिन बीते सालों में बोइंग और एयरबस के कुछ नए मॉडलों के विमान या तो बनाने बंद कर दिए गए या फिर मुश्किलों में घिर गए. कोरोना का दौर भी विमान कंपनियों के लिए बहुत संकट लेकर आया. अब इसमें रूस और चीन की चुनौती भी शामिल हो जाएगी.