'एशिया में नया शीतयुद्ध नहीं'
११ अप्रैल २०१२चीन और दूसरी जगहों पर अमेरिका के पतन की बात होने लगी है जबकि क्लिंटन ने अमेरिका का बचाव करते हुए कहा है क उसके पास अभी भी सैनिक ताकत है, नई खोज करने वाली कंपनियां हैं और महत्वपूर्ण मूल्य हैं जो उसे अभूतपूर्व बनाते हैं. अनापोलिस के अमेरिकी नौसैनिक अकादमी में भावी सैन्य नेताओं को संबोधित करते हुए क्लिंटन ने कहा कि यह 1912 नहीं है जब कमजोर होते ब्रिटेन और चढ़ते जर्मनी ने वैश्विक विवाद की नींव रखी थी. 1914 में पहला विश्वयुद्ध हुआ था.
नए दुश्मन नहीं
क्लिंटन ने कहा, "हम नए दुश्मन नहीं बनाना चाहते हैं. आज का चीन सोवियत संघ नहीं है. हम एशिया में नए शीत युद्ध की कगार पर नहीं हैं." अमेरिकी विदेश मंत्री ने विदेशों में अमेरिकी इरादों को लेकर हो रही चिंता को स्वीकार किया और इस बात से इनकार किया कि अमेरिका उभरती ताकतों को उनका हिस्सा नहीं दे रहा है या उन्हें अमेरिका की प्रभुता वाले सिस्टम में लाना चाहता है. क्लिंटन ने कहा, "एक संपन्न चीन अमेरिका के लिए अच्छा है और एक संपन्न अमेरिका चीन के लिए अच्छा है, जब तक हम इस तरह संपन्न हो रहे हों जो क्षेत्रीय और वैश्विक भलाई में योगदान दे."
क्लिंटन ने चीन, भारत और इंडोनेशिया का नाम लेकर कहा है कि उभरती ताकतें अमेरिका समर्थित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के कारण ही विकास कर पाई हैं. अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके रवैये पर नाराजगी जताते हुए क्लिंटन ने कहा, "एशिया और दूसरी जगहों पर आज की कुछ उभरती ताकतें चुनिंदा स्टेकहोल्डर की तरह व्यवहार करती हैं और चुनती हैं कि कब अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भाग ले और कब न लें." अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "यह थोड़े समय के लिए उनके हितों को साध सकता है, लेकिन अंत में उस व्यवस्था को काम करने लायक नहीं रहने देगा जिसने उन्हें वहां पहुंचाया है जहां वे आज हैं."
बड़ी भूमिका की मांग
अमेरिका नियमित रूप से इस पर चिंता व्यक्त करता रहा है कि चीन बढ़ती संपन्नता और महात्वाकांक्षाओं के बावजूद उत्तर कोरिया, ईरान या पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दों पर अगुआ की भूमिका नहीं निभा रहा है. क्लिंटन ने कहा कि कुछ अमेरिकी भले ही आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे हों, अमेरिका का एशिया और विश्व में कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, "केवल अमेरिका के पास खतरों, धमकी और अलग अलग इलाकों में हमलों को रोकने, साथियों को एकजुट करने और स्थायित्व लाने की ग्लोबल पहुंच, संसाधन और पक्का इरादा है."
क्लिंटन ने नवम्बर में बाली में हुए पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन का हवाला दिया जहां ओबामा ने विवादित दक्षिण चीन सागर पर बहस को आगे बढ़ाया था. चीन इसे शिखर भेंट के एजेंडे से बाहर रखना चाहता था. विदेश मंत्री ने कहा, "इस तरह के जटिल विवादों को द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाना उलझन और संभावित टकराव का मसाला है." चीन और पड़ोस के पांच देश इस इलाके पर अपना दावा करते हैं जहां से दुनिया के आधे मालवाहक जहाज गुजरते हैं.जिस समय क्लिंटन भाषण दे रही थीं उसी समय फिलीपीन्स ने अपने एक नौसैनिक जहाज और चीन के दो निगरानी जहाजों में विवाद की खबर दी. चीन ने भारत को भी इस इलाके में सक्रिय होने के खिलाफ चेतावनी दी है.
चीन के एक नामी अमेरिका विशेषज्ञ ने हाल में कहा है कि दक्षिण चीन सागर और दूसरे एशियाई मामलों में अमेरिका की भागीदारी के कारण वाशिगटन के लिए बीजिंग में अविश्वास गहरा हो रहा है. बढ़ती निकटता के बावजूद अमेरिका और भारत के संबंध भी उतार चढ़ाव वाले हैं. ईरान के मुद्दे पर अमेरिका लगातार भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह ईरान के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को लागू करे.
रिपोर्टः महेश झा(एएफपी)
संपादनः एन रंजन