एसिड हमले के बाद बदले का डर
२३ मई २०१२शरमीन ओबैद चिनॉय की चालीस मिनट लंबी फिल्म जाकिया और रुखसाना पर केंद्रित है. इस फिल्म में देखा जा सकता है कि कैसे ये दोनों महिलाएं पति के किए एसिड हमले के बाद अपनी जिंदगी बचाने की कोशिश कर रही हैं.
यह फिल्म बनाने में एसिड सरवाइवर फाउंडेशन पाकिस्तान (एएसएफ) ने साथ दिया. लेकिन कुछ महिलाओं को अब डर है कि रुढ़िवादी पाकिस्तानी समाज में उन्हें नए सिरे से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. वह इस फिल्म के निर्माताओं पर कानूनी कार्रवाई कर रही हैं. नैला फरहत 22 साल की हैं जो इस फिल्म में कहीं थोड़ी सी देर के लिए दिखाई पड़ती हैं. "हमें नहीं लगा था कि यह फिल्म इतनी हिट हो जाएगी और इसे ऑस्कर मिल जाएगा. यह पूरी तरह गलत है. हम उन्हें ये फिल्म पाकिस्तान में नहीं दिखाने दे सकते."
13 साल की उम्र में नैला फरहत ने शादी से इनकार कर दिया था. जिस आदमी से शादी करने से उन्होंने इनकार किया था उसने स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम से लौटती नैला पर एसिड फेंक दिया. इस हमले में नैला ने अपनी आंख खो दी. उन पर हमला करने वाला 12 साल जेल में रहा. बहुत दिनों तक चले इलाज के बाद अब वह शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर हैं और नर्स की ट्रेनिंग ले रही हैं. "यह मेरे परिवार का अनादर है और मेरे रिश्तेदारों का भी. वह इसे मुद्दा बनाएंगे. क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में कैसा होता है. अगर किसी महिला को वह फिल्म में देख लें तो पूरे समय उनके बारे में कहानियां बनाई जाती हैं. हम और भी खतरे में हैं. हमें डर है, भगवान न करे कि ऐसा हो लेकिन हम फिर ऐसी ही किसी घटना का शिकार हो सकती हैं. हम अपना चेहरा दुनिया को नहीं दिखाना चाहतीं."
नैला फरहत के वकील नावीद मुजफ्फर खान ने बताया कि ओबैद चिनॉय और उनके साथी निर्माता डैनियल जुंग को नोटिस भेजा गया है. उनका कहना है कि फिल्म को पाकिस्तान में दिखाना है या नहीं इस बारे में एसिड हमले में बची महिलाओं की सहमति नहीं ली गई थी. खान के अनुसार फिल्म में दिखाई दी गई सभी महिलाओं से सहमति लेनी जरूरी थी भले ही वह नहीं के बराबर उस फिल्म में देखी गई हो.
खान ने कहा कि निर्माताओं को सात दिन दिए गए हैं कि वह यह फिल्म पाकिस्तान में सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखाएं. ऐसा नहीं होने पर वह अदालत जाएंगे और अदालत के हस्तक्षेप की मांग करेंगे. उनके (बची हुई पीड़ित महिलाओं के) दिमाग में यह पूरी तरह साफ था कि वह इस फिल्म को सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखाएंगे क्योंकि यह पाकिस्तान में उनका जीना मुश्किल कर देगा और गांवों में जीना दूभर बना देगा.
लेकिन ओबैद चिनॉय ने जोर दिया कि इन महिलाओं ने कानूनी दस्तावेजों पर साइन किए हैं कि यह फिल्म पाकिस्तान सहित कहीं भी दिखाई जा सकती है. एएफपी समाचार एजेंसी ने ओबैद चिनॉय के हवाले से लिखा है कि रुखसाना नाम की एक महिला को इस फिल्म से एडिट कर दिया गया क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसे देश में दिखाया जाए. ओबैद चिनॉय ने कहा कि उन्हें आरोप समझ नहीं आए. साथ ही उन्होंने सुनिश्चित किया कि "जब अदालत हमें कहेगी तो हम जवाब देंगे."
कई महिलाओं को उनके पति या रिश्तेदार लगातार धमकाते रहते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें इस फिल्म के टीवी पर आने से बहुत डर है. नैला फरहत के वकील कहते हैं, "टीवी की पहुंच बहुत दूर तक है, ऐसे में उनकी जिंदगी खतरे में पड़ने की आशंका है."
कुछ डॉक्टरों का का मानना है कि विदेश में रहने वाले डॉक्टर पर फिल्म को केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए था. पाकिस्तान में कई ऐसे स्थानीय डॉक्टर हैं जिन्होंने कई दर्जन पीड़ितों का इलाज किया है. जबकि कई अन्य मानते हैं कि यह फिल्म बहुत सनसनीखेज है और पाकिस्तान में एसिड हमले की पीड़ित महिलाओं को इससे असल में कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि साल भर में वहां एसिड हमले की कई घटनाएं अभी भी होती हैं.
एएम/एमजे (एएफपी)