एस्प्रिन से आंख की रोशनी को खतरा
४ अक्टूबर २०११एक यूरोपीय शोध के मुताबिक दर्द से निपटने के लिए एस्प्रिन नहीं लेने वाले लोगों के मुकाबकले रोजाना एस्प्रिन लेने बुजुर्गों को ऐसी बीमारी होने का खतरा दोगुना हो जाता है जिसमें आंख की रोशनी चली जाती है. यह बीमारी बढ़ती उम्र से जुड़ी है. शोध के तथ्य इलाज की नई तकनीकों से जुड़ी पत्रिका ऑप्थालमोलॉजी में छपे हैं. आंकड़ें यह नहीं बताते कि एस्प्रिन की वजह से आंख की रोशनी जाती हैं. लेकिन यह चिंता की बात है कि एस्प्रिन की वजह से आंख में होने वाली गड़बड़ी बढ़ती है. हृदय रोग की बीमारी से जूझ रहे बहुत से बुजुर्ग एस्प्रिन का इस्तेमाल करते हैं.
बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारी
बॉस्टन के महिला अस्पताल के डॉक्टर विलियम क्रिश्टेन के मुताबिक, "जिन लोगों को बढ़ती उम्र के साथ दृष्टि से जुड़ी मैकुलर डीजेनरेशन की समस्या है उन लोगों को शायद एस्प्रिरन लेने की सिफारिश नहीं करना बुद्धिमानी है." नीदरलैंड्स के न्यूरोसाइंस इंस्टीट्यूट और अकेडमी मेडिकल सेंटर ने करीब 4,700 लोगों से स्वास्थय और जीवन शैली से जुड़ी जाकारी जमा की. शोध में नॉर्वे, एस्टोनिया, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, ग्रीस और स्पेन के उन लोगों को शामिल किया गया, जिनकी उम्र 65 साल के ऊपर है.
एस्प्रिन का असर?
रोजाना एस्प्रिन लेने वाले 839 लोगों में से 36 लोगों में वेट मैकुलर डीजेनरेशन बीमारी पाई गई. वहीं अकसर कम एस्प्रिन लेने वाले 100 लोगों में से दो लोगों को ऐसी बीमारी है. आंखों में खून की नसें लीक होने के कारण वेट फॉर्म जैसे हालात बनते हैं जिस कारण आंख की रोशनी जाने का खतरा होता है. ड्राई फॉर्म ज्यादा आम है और कम गंभीर है. हालांकि लोग अभी भी दृश्य हानि के पीड़ित होते हैं. ड्राई और वेट फॉर्म दोनों से आंख की रोशनी को नुकसान होता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि एस्प्रिन का इस्तेमाल ड्राई फॉर्म से नहीं जुड़ा हुआ है, ना ही बीमारी के शुरुआती चरणों से.
रिपोर्ट: रॉयटर्स / आमिर अंसारी
संपादन: ए कुमार