ऐसे तो ऑस्ट्रेलिया का काम ना चलेगा
२२ फ़रवरी २०११विश्व कप में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग जीत से शुरुआत करना चाहते थे, वह उन्हें मिल गई. लेकिन इस जीत में कई सवाल छिपे हुए हैं. जिम्बाब्वे के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया काफी संभला सहमा सा नजर आया. अहमदाबाद की पिच पर जिम्बाब्वे के सामान्य स्पिन अटैक को भी ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ बल्लेबाज बहुत संभल कर खेल रहे थे.
ओपनर ब्रैड हैडिन और शेन वॉटसन ने पहले 10 ओवरों तक अपने विकेट तो बचाए लेकिन रन सिर्फ 28 बनाए. भारतीय उपमहाद्वीप की पिचों पर पहले 10 ओवर इस तरह के खेल के लिए नहीं जाने जाते. लेकिन विश्व चैंपियन टीम के बल्लेबाज वह तूफानी शुरुआत नहीं दे पाए जिसकी उम्मीद की जा रही थी.
ये तो रणनीति थी
पोंटिंग की मानें तो ऑस्ट्रेलिया इसी रणनीति के तहत मैदान पर उतरा था कि पहले विकटें बचाई जाएं और फिर हमला बोला जाए. उन्होंने मैच के बाद कहा, "पूरे टूर्नामेंट में हम इसी रणनीति पर खेलेंगे. बीच के ओवरों में आपके पास विकेट होना बहुत जरूरी है क्योंकि तब स्पिनर्स गेंदबाजी करते हैं. हां, हम कुछ और रन बना सकते थे लेकिन कुल मिलाकर यह अच्छी शुरुआत रही."
रिकी पोंटिंग के दिमाग में जो चल रहा है वह विफल हो जाता अगर माइकल क्लार्क, डेविस हसी और स्टीव स्मिथ ने आखिरी ओवरों में कुछ बड़े शॉट नहीं लगाए होते. क्योंकि तब जिम्बाब्वे जैसी टीम के खिलाफ भी ऑस्ट्रेलिया 250 से नीचे ही रह जाता.
टूर्नामेंट से पहले कंगारू अपने दोनों अभ्यास मैच हार गए थे. इसके बाद ही पोंटिंग ने अपने ओपनरों को धीमा रखने की योजना बनाई. मैच के बाद उन्होंने कहा, "हमने शानदार खेल तो नहीं दिखाया लेकिन जैसी मैंने लड़कों से चाही थी, उन्होंने वैसी ही मजबूत शुरुआत दी."
भले ही जिम्बाब्वे के खिलाफ पोंटिंग अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हों लेकिन वह मानते हैं कि बड़ी टीमों के खिलाफ उन्हें बेहतर प्रदर्शन करना होगा. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि कुछ दिनों बाद हमें न्यूजीलैंड के खिलाफ बेहतर खेल दिखाना होगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एस गौड़