ऐसे बने सचिन तेंदुलकर महान खिलाड़ी
१९ जून २०११पुराने दिनों को याद करते हुए सचिन ने बताया, "मेरा भी मन करता था कि मैं प्रैक्टिस करने न जाऊं और दूसरे बच्चों की तरह मस्ती करूं. मेरा मन बाहर जाकर वड़ा पाव खाने का करता था लेकिन मेरे पिता ने जो आजादी मुझे खेलने के लिए दी थी उसका मैं गलत इस्तेमाल करना नहीं चाहता था. मेरे पिता चाहते थे कि मैं क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करूं. पढ़ाई के लिए उन्होंने मुझ पर कभी दबाव डालने की कोशिश नहीं की."
भाई के कारण
मराठी टेलिविजन को दिए एक इंटरव्यू में तेंदुलकर ने अपनी सफलता का श्रेय भाई को भी दिया. "मेरे कोच और भाई ने भी यह सुनिश्चित किया कि मेरा ध्यान खेल से भटके नहीं. मैं दीवानों की तरह क्रिकेट से प्यार करता था. एक पेशेवर खिलाड़ी बनने के लिए आपको अनुशासित होना चाहिए. आपका जब मन करे आप खाने-पीने नहीं जा सकते. जिंदगी में हर कोई मजा लेना चाहता है. लेकिन आपको अपनी सीमाएं पता होनी चाहिए. आपकी जीवनशैली का असर आपके खेल पर नहीं पड़ना चाहिए."
टिप्स भी दिए
इस इंटरव्यू के दौरान तेंदुलकर ने अपनी बेहतरीन पारियों को याद करते हुए युवा खिलाड़ियों को टिप्स भी दिए. "ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप क्वॉर्टर फाइनल मैच में हमें पता था कि काफी गर्मी होगी. मैंने यही सोचकर मैच के तीन चार दिन पहले से मांसाहारी और तले भुने मिर्च वाले खाने से खुद को दूर रखना शुरू कर दिया. मैंने बेहद सादा भोजन किया और इसके जरिए मैंने अपने शरीर के तापमान को सीमित रखने की कोशिश की क्योंकि इससे प्रदर्शन पर गलत असर पड़ता है."
अपनी फिटनेस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गर्म जलवायु वाले इलाकों में खेलते समय पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए. मैं आधी रात का अलार्म लगाकर सोता और खूब पानी पीता. मैच शुरू होने से पहले ही मैं इतना पानी पी लेता कि मुझे उसकी कमी महसूस न हो.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम