ऑनर किलिंग मामले में तीन को उम्र कैद
५ अगस्त २०१०सुप्रीम कोर्ट ने मास्टर कृष्णा, रामसेवक और किशोरी को मौत की सजा देने से परहेज बरता क्योंकि मामला करीब 20 साल पुराना है. "यह मानने में कोई शक नहीं कि इज्जत के लिए छह लोगों के परिवार को पूरी तरह मौत की नींद सुला देना गंभीरतम अपराधों की श्रेणी में आता है इसलिए आरोपी पक्ष की ओर से उम्र कैद के आरोप बिलकुल सही हैं."
यह घटना 20 साल पहले की है और हाई कोर्ट ने आरोपियों को 12 अप्रैल 2002 को बरी कर दिया था. गुलजारी परिवार के छह सदस्यों--उनकी पत्नी रामवती, भाई बाबूराम और उनके तीन बच्चों रमेश, उमेश और धर्मेंद्र की कृष्णा और उसके दो साथियों ने उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबद जिले में जान ले ली.
गुलजारी का बेटा मदन और उनके पड़ोंसी झाबूलाल भी इस मामले में गवाह के रूप में पेश हुए. कृष्णा की बेटी सोनात्रा झाबूलाल के बेटे अमर सिंह के साथ भाग गई थी. इससे नाराज तीनों ने गुलजारी के परिवार की हत्या कर दी क्योंकि उन्हें शक था कि रामवती ने उन्हें ट्रेन पर चढ़ने में मदद दी.
कोर्ट का कहना है कि आठ साल पहले बरी हो जाना और फिर उन्हें मौत की सजा देना सही नहीं रहेगा. इसीलिए उन्हें उम्रकैद की सजा दी गई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम