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ऑस्ट्रेलिया तंबाकू कंपनियों का धुआं उड़ाएगा

७ अप्रैल २०११

ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे कड़ा धूम्रपान बिक्री कानून लागू करेगा. नए कानून के बाद सिगरेट के पैकेट में लोगो, स्टाइल और खास रंग नहीं दिखेंगे. सिगरेट का पैकेट जैतूनी रंग का होगा. सरकार की पहल से सिगरेट कंपनियां बौखलाई.

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तस्वीर: AP

नए कानून के तहत हर कंपनी का सिगरेट पैकेट एक ही रंग का होगा. सिगरेट के पैकेट को आर्कषक बनाने वाली सभी चीजें डिब्बे से गायब रहेंगी. पैकेट जैतूनी या आर्मी ग्रीन कलर का होगा. शोध में पता चला है कि धूम्रपान के शौकीनों को जैतूनी रंग के पैकेट को खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं होती है. इसके अलावा पैकेट के आगे वाले हिस्से में 75 फीसदी भाग पर विशेष ग्राफिक्स के साथ चेतावनी होगी. पिछला भाग पूरा धूम्रपान के खतरे के बारे में बताएगा. पैकेट में धूम्रपान से होने वाले अंधेपन, मसूड़ों की बीमारी, फेफड़े के कैंसर या अस्पताल में भर्ती बच्चे की तस्वीर होगी.

सिगरेट कंपनियां अपने ही पैकेट पर अपनी मर्जी के मुताबिक नाम भी नहीं लिख सकेंगी. नाम के लिए एक खास तरह का स्टाइल और फॉन्ट होगा. लोगो को पैकेट पर दिखाई ही नहीं देगा. सरकार का कहना है कि अगले साल से नया कानून लागू हो जाएगा. ऑस्ट्रेलिया की स्वास्थ्य मंत्री निकोला रोक्सोन ने कहा, ''पैकेट ऐसे डिजायन का होगा कि यह धूम्रपान करने वालों को कम से कम आर्कषित करे और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर परिणामों को बताए.''

रोक्सोन के मुताबिक हर साल 15,000 ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की जान धूम्रपान संबंधी बीमारियों की वजह से होती है. धूम्रपान करने वालों के इलाज पर 32 अरब 90 करोड़ डॉलर खर्च होते हैं. सरकार का मानना है कि सिगरेट की वजह से एक तरफ लोगों की जान भी जा रही है और सरकारी पैसा भी बर्बाद हो रहा है. न्यूजीलैंड, कनाडा और ब्रिटेन भी ऑस्ट्रेलिया की तरह सख्त कानून बनाने की तैयारी में हैं.

वहीं लोगों की जान की परवाह न करने वाली तंबाकू कंपनियां ऑस्ट्रेलियाई सरकार के कदम से बौखला गई हैं. इंपीरियल टोबैको ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि वह इस कानून को चुनौती देगी. ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको ऑस्ट्रेलिया ने भी नए कानून के खिलाफ लड़ने का एलान किया है. कंपनी का कहना है कि नया कानून इंटरनेशनल ट्रेडमार्क और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी लॉ का उल्लंघन करता है.

इन चेतावनियों के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि सरकार हर चुनौती से निपट लेगी. रोक्सोन ने कहा कि हर साल 15,000 लोगों की मौत हो रही है. नए कानून के पक्ष में इससे बड़ी दलील और क्या हो सकती है. सर्दियों में बिल संसद में पेश होगा. अगर पास हुआ तो एक जनवरी 2012 से सिगरेट कंपनियों का धुआं उड़ाने वाला नया कानून लागू जाएगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य


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