कंप्यूटर युग में डिजिटल तलाक
२ अप्रैल २०११भगवान को साक्षी मानकर, हमेशा जन्म जन्मांतर तक साथ रहने की कसमें खाने वाले हजारों जोड़े आजकल फेसबुक, ट्विटर ऑरकुट और माईस्पेस जैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स के चक्कर में पड़कर अपनी शादियां तुडवा रहे हैं. फेसबुक पर मजाक में किया गया कमेंट या मोबाइल फोन पर फिजूल का रोमांटिक मेसेज तलाक का कारण बन रहा है. ऐसा नहीं कि यह सिर्फ गॉल्फ के सबसे बड़े सितारे टाइगर वुड्स के साथ ही हुआ है. आम आदमी भी इसका शिकार बन रहा है.
अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में एक पादरी सेड्रिक मिलर ने अपने चर्च में रविवार की प्रार्थना के समय लोगों से अपील की है कि वो फेसबुक जैसे साइट्स से दूर रहें. मिलर का कहना है की लोग इन साइट्स पर शुरू तो हाय, हेलो से करते हैं लेकिन बात जल्दी ही आगे बढ़ जाती है और कई बार लोग बिना एक दूसरे को जाने भी मेसेज भेजते हैं जिसका उनके साथी को पता चल जाता है और फिर बस फिर शुरू हो जाता है रोज का झगड़, जिससे उनका विवाह खतरे में पड़ रहा है.
अमेरिका के वैवाहिक झगड़ों से संबंधित वकीलों की संस्था अमेरिकन अकादमी ऑफ मैट्रीमोनियल लॉयर्स के सर्वे के अनुसार 80 प्रतिशत से भी ज्यादा तलाक के मामलों के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स ज़िम्मेदार हैं. करीब 15 प्रतिशत माईस्पेस और पांच प्रतिशत तलाक के पीछे ट्विटर का हाथ है. अमेरिका के अलावा ब्रिटेन में भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की वजह से तलाक के मामले तेजी पकड़ रहे हैं.
लेकिन ऐसा नहीं की यह बीमारी सिर्फ अमेरिका या पश्चिम तक ही सीमित हो. इसका वाइरस भारत भी पहुंच गया है. कई लोग इसकी चपेट में आ गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के वकील और जाने माने साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल के अनुसार आजकल डिगिटल युग है और डिजिटल से जुड़े कई उपकरण हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा हैं. लेकिन जाने अनजाने इनका गलत इस्तमाल हमारे रिश्तों पर बुरा असर डाल रहा है. दुग्गल के अनुसार ऐसे कई केस सामने आये हैं जहां किसी शादी शुदा पुरुष ने फेसबुक पर अपने स्कूल या कॉलेज के ज़माने की गर्ल फ्रेंड को ढूंढने के बाद मेसेज भेजना शुरू किया और फिर धीरे धीरे मिलना शुरू करने के बाद उसका पुराना प्यार जग गया. और जब तो वो इससे अपने आप को संभालते बहुत देर हो चुकी थी. और जब उनकी पत्नी को पता चला तो बात कोर्ट में तलक तक चली गई.
तलाक के कानून की वकील रेखा अग्रवाल के अनुसार अब होशियार रहने की जरूरत है. उनका कहना है की अकसर फेसबुक, ईमेल या मोबाइल फोन पर भेजे गए मेसेज को लोग गंभीरता से नहीं लेते लेकिन अब ध्यान रखना ज़रूरी है क्योंकि इस तरह के मेसेज को कोर्ट में सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है. भले ही आप ईमानदार हों आपका साथी भी तो आपकी पीठ पीछे कहीं और ज़िन्दगी के मज़े ले सकता है. ऐसे में अगर आपके पास उसकी फेसबुक, मोबाइल फोन या ईमेल पर कोई सुराग हाथ लगा है तो उसे गुस्से में नष्ट न करें. रेखा अग्रवाल के अनुसार उस मेसेज को कंप्यूटर में डाउनलोड करके उसका प्रिंट आउट ले लें और अगर आप अपने साथी के खिलाफ बेवफाई का केस करें तो उसे सबूत के रूप में पेश कर सकते हैं.
कई बार पत्नी के साथ मार पीट करने के बाद माफी के लिए भेजा गया एसएमएस भी न्यायलय में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है. वैसे अगर मार पीट न ही करें तो माफी की ज़रुरत ही नहीं पड़ेगी. तो बस फेसबुक, ऑरकुट और ट्विट्टर को हल्के फुल्के मजाक और क्रिकेट के स्कोर तक ही सीमित रखें ताकि आपकी शादी सलामत रहे.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, दिल्ली
संपादनः ए जमाल