कपिल ने क्रिकेटरों को और धन की वकालत की
२६ मार्च २०१०कपिल देव का कहना है कि खिलाड़ियों को अगर और पैसे मिलते हैं तो इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है. "क्या ग़लत है, अगर खिलाड़ियों को और धन मिले. अगर कोई टीम ख़रीदने के लिए 1,700 करोड़ रुपये ख़र्च कर रहा है और खिलाड़ियों पर सिर्फ़ 35 करोड़ रुपये ख़र्च करता है तो क्या यह सही है. कम से कम 10 फ़ीसदी रक़म तो खिलाड़ियों पर ख़र्च होनी चाहिए."
कपिल कहते हैं कि अगर उनका बस चलता तो वह खिलाड़ियों पर ख़र्च करने की सीमा 100 करोड़ रुपये तय करते. फ़िलहाल यह सीमा 70 करोड़ रुपये ही है. टेस्ट क्रिकेट में एक समय सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले कपिल देव मुंबई में इंडिया इंटरनेशनल स्पोर्ट्स समिट में हिस्सा ले रहे हैं.
वैसे कपिल देव यह ज़रूर मानते हैं कि बेहद थोड़े समय में जिस तरह से इतने मैच कराए जाते हैं उससे खिलाड़ियों की परेशानी बढ़ती है और उन्हें चोट लगने का ख़तरा भी रहता है. वह कहते हैं, "चोट खेल का ही हिस्सा है और यह कहीं भी लग सकती है. इसे रोका नहीं जा सकता लेकिन खिलाड़ियों का बहुत ज़्यादा क्रिकेट खेलना चिंता का विषय होना चाहिए."
कुछ समय पहले कपिल देव आईसीएल (इंडियन क्रिकेट लीग) का हिस्सा थे जो अब समाप्त हो गई है. इस लीग में खेलने वाले खिलाड़ियों को बाग़ी कहा जाता था. कपिल का कहना है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ताक़त के आगे आईसीएल का ठहरना नामुमक़िन था.
"आईसीएल निजी हाथों में था जबकि आईपीएल के पीछे बीसीसीआई का हाथ है और उसे आईसीसी की भी अनुमति मिली हुई है. आप क्या कर सकते हैं जब सरकार के आगे आपकी नहीं चलती."
"क्रिएटिंग स्पोर्टिंग हीरोज़" पर संबोधन में कपिल देव ने अन्य खेलों का भी ज़िक्र किया और कहा कि वर्ल्ड कप हॉकी में उन्हें भारतीय टीम से अच्छा खेलने की उम्मीद नहीं थी. कपिल के मुताबिक़ टीम अच्छा कैसे खेल सकती थी. पूरे देश में सिर्फ़ 15 एस्ट्रो टर्फ़ है जबकि हॉलैंड जैसे छोटे से देश में 250 से ज़्यादा हैं. कपिल ने ज़ोर देकर कहा कि अगर खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो देश में खेल क़ानूनों को बदलना होगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार