कभी खुशी कभी गम
२२ जनवरी २०११बर्लिन में शादियों का आयोजन कर रही आलेक्सांद्रा डियोनीसियो का कहना है कि कई परंपराएं बहुत पुरानी हैं लेकिन इस जमाने में लोग उनके असली मतलब भूल चुके हैं. चर्च शादी के वक्त दुल्हन हमेशा बाईं तरफ खड़ी होती है. पर कम ही लोगों को पता होगा कि ऐसा क्यों है. पुराने जमाने में दूल्हा हमेशा अपनी पत्नी या होने वाली पत्नी के बचाव में खड़ा रहता था. और इसके लिए उसके पास तल्वार रहती थी जो वह दाएं हाथ में रखता था. इसलिए दुल्हन उसके बाएं तरफ खड़ी रहती है.
फूलों की बरसात
डियोनीसियो का कहना है कि दुनिया के कई जगहों पर अगर शादी के एक दिन पहले दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को देख लेते हैं, तो इसे बुरा शगुन माना जाता है. चर्च में अंदर आते वक्त दुल्हन के साथ उसके पिता रहते हैं. डियोनीसियो का कहना है कि यह परंपरा तब की है जब महिलाओं को संपत्ति के रूप में देखा जाता था और एक पिता अपनी बेटी को किसी दूसरे आदमी के हवाले करता था. लेकिन आज कल यह एक परंपरा है जो दुल्हन के परिवार में प्रेम दिखाता है.
शादी हो जाने के बाद मेहमान नव विवाहित दंपति पर चावल के दाने और फूल फेंकते हैं. लेखक बिरगिट आडाम का कहना है, "फूलों का मतलब सौभाग्य से है. एक प्राचीन कहानी के मुताबिक गोद भरने का आशीर्वाद देने वाली देवी इससे खुश होती हैं." इसके अलावा पैसों को लेकर भी कई अंधविश्वास हैं. जैसे कि अगर दुल्हन अपने दाहिने जूते में एक सिक्का डालती है तो इसका मतलब है कि जिंदगीभर उस दंपति के पास पैसे रहेंगे.
जूते दो पैसे लो
शादी के दौरान कई छोटे बच्चे दुल्हन के जूते चुरा लेते हैं और इन्हें फैलाकर मेहमानों से पैसे मांगते हैं. कई बार दुल्हन कुछ पैसे जमा करके अपने लिए खास शादी वाली जूते खरीदती है. इसका मतलब वह अपने दूल्हे को दिखाना चाहती है कि वह बहुत खर्चीली नहीं है और पैसे बचा सकती है.
शादी के आयोजकों का कहना है कि यह परंपराएं भले ही मजेदार हों, लेकिन शादी के दिन इनपर जोर नहीं देना चाहिए क्योंकि आखिरकार यह दो लोगों के बीच बंधन बनाने का दिन है, मेहमानों के लिए खेल दिवस नहीं.
रिपोर्टःडीपीए/एमजी
संपादनः एम रंजन