कर अधिकारियों की गुगली में उलझा आईपीएल
२३ अप्रैल २०१०शशि थरूर के इस्तीफ़े से आईपीएल की नींव जो हिलनी शुरू हुई वो अभी भी थमी नहीं है. थरूर के इस्तीफ़े के बाद आयकर विभाग ने करीब 18 हज़ार करोड़ रुपये के आईपीएल फ्रैंचाइज़ी के कार्यालयों पर छापे मारने शुरू किए. साथ ही आईपीएल जैसे बड़े भारी धंधे में क्या रिस्क हो सकती हैं इसका भी संकेत दिया.
सब फंसे
यह एक ऐसा घपला है जिसने भारत के कई वर्गों को प्रभावित किया है. बड़े व्यावसायिक नामों के साथ संसद से लेकर बॉलीवुड के सितारों तक सभी को जो भी 2008 में शुरू हुए आईपीएल के नफ़े से एक हिस्सा ख़ुद के लिए भी चाहते थे. भारत के मशहूर कंमेंटेटर परनजॉय गुहा ठाकुरता का मानना है, "भारत के कॉर्पोरेट जगत की तरह ही आईपीएल के बारे में रवैया वैश्वीकरण, उदारीकरण का था कि हम दुनिया को जीत सकते हैं. लेकिन आईपीएल में पारदर्शिता नहीं है. यह एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन गया लेकिन संदेहास्पद व्यवसाय. इस धंधे ने धनी व्यवसायियों और नेताओं के बीच सुखद संबंध उजागर किया है."
46 साल के ललित मोदी जो कि अपने शानदार महंगे कपड़ों के लिए जाने जाते हैं और ऊंचे सेलिब्रिटी सर्कल में घूमने के शौकीन हैं, उन्होंने 2008 में क्रिकेट का छोटा फॉर्म आईपीएल शुरू किया था. देखते ही देखते इसने एडवर्टाइज़िंग से लाखों डॉलर जमा किए और पारंपरिक क्रिकेट को प्रभावित किया.
रईस आईपीएल
आईपीएल का बुखार बाज़ार में ऐसा चढ़ा कि कुछ फ्रैंचाइज़ी इंग्लिश प्रीमियर लीग फ़ुटबॉल की टीमों से भी महंगी बिकी. आयकर विभाग के छापों से अभी तक अख़बारों में हेडलाइन्स के सिवा कुछ सामने नहीं आया है. देश भर में आईपीएल फ्रैंचाइज़ी के दफ्तरों पर छापों के मद्देनज़र मोदी का सिर्फ़ इतना ही कहना है कि उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है.
हालांकि कुछ भारतीयों का मानना है कि छापों के बावजूद आईपीएल की रईसी जारी रहेगी.
आईपीएल को क्रिकेटेन्मेन्ट का नाम देने वाले मोदी जब चीयरलीडर्स को खेल में लेकर आए तो रुढ़िवादी ताकतों की भवें चढ़ीं थीं लेकिन पैसे का रंग कुछ ऐसा चढ़ा कि किसी ने बाद में इस पर ध्यान नहीं दिया या वो आवाज़ें पैसे के नीचे दब गईं.
हमारा आईना
ललित मोदी ने भारतीय व्यवसायियों के 'हम कर सकते हैं' के रुख का उदाहरण दिया, जिस पर भारतीय व्यवसायियों को गर्व है. साथ ही उन्होंने ये दिखाया कि देश की नौकरशाही, भ्रष्टाचार और ख़राब मूलभूत संरचना से कैसे निपटा जा सकता है. जब सुरक्षा और चुनावों की चिंता थी तो मोदी कुछ ही हफ़्तों में आईपीएल को सीधे दक्षिण अफ्रीका ले गए. इसके लिए कहीं न कहीं मोदी की सराहना भी की जाती है. लेकिन थरूर के इस्तीफ़े के बाद मोदी के लिए सराहना उन्हें शायद बचा नहीं सकेगी. क्योंकि कांग्रेस की सरकार के मंत्री शरद पवार ने जब मोदी की तरफ़दारी करने की कोशिश की तो उन्हें सरकार का गुस्सा झेलना पड़ा.
कुछ लोगों का मानना है कि इस घपले में सरकार गिर जाएगी. लेकिन व्यावसायी की एक छोटी सी चहक(ट्वीट) ने सरकार को तो हिला ही दिया है. उसके बाद राजनीति और व्यवसाय के रिश्ते को भी उजागर किया और साथ ही दोनों की नज़ाकत को भी. कुल मिला कर आईपीएल हमें भारतीय व्यवसाय का चेहरा दिखाता है.
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा मोंढे
संपादनः महेश झा