करोड़ों का कूल्हा
१० अगस्त २०१०बेशक जॉन के कूल्हे की बात ही कुछ और है. फ़िल्म दोस्ताना में जिन्होंने 37 वसंत झेला हुआ उनके जिस्म को देखा है, वे इसे मान लेंगे. इस सिलसिले में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह सही है कि उन्होंने एक पहल की है और बात चल रही है. फ़िलहाल वे इससे ज़्यादा कुछ कहना नहीं चाहते.
इसी महीने जॉन अब्राहम की फ़िल्म आशाएं रिलीज़ हो रही है. साथ ही वे दोस्ताना 2 की शूटिंग शुरू कर रहे हैं. हर बात में नुक्स निकालने वाले कहते हैं कि इन फ़िल्मों को मार्केटिंग की ज़रूरत है और जॉन को खुद भी. ऐसे में उनका कूल्हा काम आ गया. लेकिन बात इतनी आसान नहीं है. ऐसा बीमा सेलिब्रिटिज़ के लिए मानी हुई बात है, और जॉन अब्राहम इस मामले में अकेले नहीं हैं.
मसलन जर्मनी की सुपर मॉडल क्लाउडिया शिफ़र. उन्होंने कभी 50 लाख डॉलर यानी करीब 25 करोड़ रुपये में अपने चेहरे का बीमा करवाया था. आपको चेहरे के बीमे पर एतराज़ है? अदाकारा अमेरिका फ़ेरारा ने अपनी मुस्कान का बीमा एक करोड़ डॉलर यानी 50 करोड़ रुपये में करवाया था. चेहरे को अगर छोड़ा जाए तो 1980 के दशक में अदाकारा और कंट्री म्यूज़िक की गायिका डॉली पैर्टन ने 6 लाख डॉलर में अपने 42 इंच के सीने का बीमा करवाया था.
अपनी आवाज़ का बीमा तो बहुतेरे गायक करवाते हैं. शुरुआत शायद 1940 के दशक में जर्मन-अमेरिकी स्टार अदाकारा और गायिका मारलीन डीटरिष ने की थी - उस ज़माने में दस लाख डॉलर की कीमत पर.
पैरों का बीमा सिर्फ़ डेविड बेखम सरीखे फ़ुटबॉल खिलाड़ी ही नहीं करवाते हैं. जर्मन सुपर मॉडल हाइडी क्लूम ने अपने एक पैर के लिए 12 लाख डॉलर का बीमा करवाया, तो दूसरे पैर के लिए सिर्फ़ 10 लाख का. पॉप गायिका टीना टर्नर ने भी अपने पैरों के लिए एक लंबा-चौड़ा बीमा करवाया, जिसकी राशि कभी बताई नहीं गई. हाथ का भी बीमा हुआ है, मसलन रोलिंग स्टोन्स के गिटारिस्ट कीथ रिचर्ड्स ने करवाया है.
कुछ कंपनियां अपने मैनेजरों के नौकरी छोड़ जाने के ख़िलाफ़ बीमा करवाते हैं. और अगर स्लमडॉग मिलियोनेयर के डायरेक्टर को पता होता कि कुछ देशों में कौन बनेगा करोड़पति प्रोग्राम के प्रायोजक उसमें भारी जीत के खिलाफ़ बीमा करवा लेते हैं, तो शायद उनकी कहानी ही नहीं बनती.
बहरहाल, लाभ-नुकसान, जिस्म के सामने, ऊपर या नीचे के लिए अगर बीमा हो सकता है, तो पीछे के लिए क्यों नहीं? जॉन अब्राहम ने भी ऐसा ही सोचा होगा. वैसे कस्टम विभाग ने जब एक मशहूर लेखक से पूछा था कि उनके पास डिक्लेयर करने को कुछ है, तो उन्होंने जवाब दिया, दिमाग के सिवा कुछ नहीं.
अपना अपना नजरिया होता है.
रिपोर्टः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए जमाल