कर्ज संकट के हल का नया वादा
१० अक्टूबर २०११जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने रविवार को बर्लिन में मुलाकात की. दोनों नेताओं ने कर्ज संकट का हल निकालने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की. मैर्केल और सारकोजी ने वादा किया है कि वे अक्तूबर के आखिर तक इस मुश्किल के हल के लिए एक व्यापक पैकेज बनाएंगे.
बैंकों का डर
कर्ज संकट के अलावा बैंकों की अस्थिरता यूरो जोन के लिए एक बड़ी समस्या है.खासकर फ्रांसीसी बैंकों को ग्रीस के वित्तीय संकट का सीधा असर होने का डर है. और इससे यूरोप के बैंकिंग क्षेत्र के अस्थिर होने की आशंका है. घबराहट है कि 2008 में अमेरिका से पैदा हुई वैश्विक मंदी जैसी स्थिति एक बार और पैदा हो सकती है.
इससे बचने के लिए मैर्केल और सारकोजी बैंकों को यूरोपीय मानकों के हिसाब से पूंजी देने पर सहमत हुए हैं. यह योजना जी20 देशों की अगली बैठक के दौरान प्रस्तुत की जाएगी. नवंबर की शुरुआत में फ्रांस के कान में यह बैठक होनी है.
रविवार को बातचीत के बाद अंगेला मैर्केल ने बर्लिन में पत्रकारों को बताया कि वह और सारकोजी यूरोपीय बैंकों को पूंजी देने का समर्थन करते हैं. वहीं सारकोजी ने कहा, "हम यह बात जानते हैं कि फ्रांस और जर्मनी की यूरो को स्थिर रखने की जिम्मेदारी है. हमें ऐसा हल निकालना है जो व्यापक और टिकाऊ हो. हम इस पर फैसला महीने के आखिर तक ले लेंगे, क्योंकि कान में होने वाली जी20 देशों की बैठक से पहले यूरोप की समस्या का हल निकलना जरूरी है."
फ्रांस-जर्मन एकता
इस सप्ताह की शुरुआत में अंगेला मैर्केल ने बैंकों को पूंजी देने पर साझी कार्रवाई का समर्थन किया था. साथ ही यह भी कहा था कि देश से मदद मांगने से पहले बैंक पहले खुद पूंजी बढ़ाने की कोशिश करें. देश से मदद मांगने पर यूरोपीय वित्तीय स्थिरता व्यवस्था (ईएफएसएफ) मदद के तौर पर काम करेगी.
वहीं फ्रांस चाहता है कि ईएफएसएफ फंड्स को बीमार बैंकों की मदद के लिए तुरंत इस्तेमाल कर लिया जाए. इस कारण लग रहा था कि दोनों देशों में मतभेद हो सकता है. लेकिन मैर्केल और सारकोजी दोनों ने साझा कदम उठाने पर सहमति जताई और कहा है कि फ्रांस-जर्मनी के बीच पूरी सहमति है लेकिन अभी विस्तार से इस बारे में बात करने का समय नहीं आया है.
उधर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा कि यूरो जोन के नेताओं को अपनी साझा जिम्मेदारी समझनी चाहिए और आर्थिक संकट से बचने के लिए निर्णायक कदम उठाने चाहिए.
रिपोर्टः रॉयटर्स/एपी/एएफपी/आभा एम
संपादनः ए कुमार