'कश्मीर संयुक्त राष्ट्र की विफलता'
२६ सितम्बर २०१२पहले दिन अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने भाषण दिया. ओबामा ने अपने भाषण में तेहरान को संबोधित किया और मांग की कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी दे. ईरान के साथ बातचीत के लिए समय असीमित नहीं है. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सैन्य हमला शब्द का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन उन्होंने ईरान को अप्रत्यक्ष रूप से बल प्रयोग की धमकी दी. ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देने के लिए अमेरिका जो जरूरी होगा वह करेगा.
साथ ही उन्होंने फिर एक बार अपील की कि सीरिया में बशर अल असद की सत्ता समाप्त होनी चाहिए. वहीं फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने कहा कि फ्रांस सीरिया की नई सत्ता को तुरंत मान्यता दे देगा. "पुरानी सरकार ने लोगों के दिलों में जगह कभी की खो दी है. और वह फिर पुरानी जगह नहीं ले सकेंगे. इसलिए फ्रांस नए स्वतंत्र सीरिया का प्रतिनिधित्व करने वाली अस्थाई अंतरिम सरकार को तुरंत मान्यता देगा, जब भी वह बनेगी."
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून ने दुनिया की चिंताजनक स्थिति का खाका खींचा. उन्होंने बढ़ते हथियारों, सीरिया में गृहयुद्ध और जलवायु परिवर्तन के मामले में चिंता जताई. सीरिया के बारे में उन्होंने कहा, "संकट का असर सिर्फ देश तक ही सीमित नहीं है यह अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा है." जर्मनी के विदेश मंत्री गिडो वेस्टरवेले ने कहा कि ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने चाहिए जो उसके आर्थिक व्यापार, यातायात और ऊर्जा क्षेत्र पर असर करें ताकि वह दबाव के बाद अपने परमाणु कार्यक्रम के बारे में बातचीत करने के लिए राजी हो. "पिछले महीनों में बातचीत का फायदा ईरान ने नहीं उठाया. परमाणु हथियारों वाला ईरान अस्वीकार्य है." लेकिन वेस्टरवेले ने सैन्य विकल्पों की बजाए कहा कि अभी कूटनीतिक बातचीत काम कर सकती है.
गीडो वेस्टरवेले ने सीरिया को साफ संकेत देने की मांग की और कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक सप्ताह में बशर अल असद सरकार पर दबाव डाला जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने असद सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं रखने की सलाह भी दी.
अभिव्यक्ति की आजादी
इस्लाम विरोधी वीडियो की अमेरिकी राष्ट्ररपति बराक ओबामा ने कड़े शब्दों में आलोचना की है और है कहा कि इसे बनाने में किसी भी तरह से अमेरिकी सरकार का हाथ नहीं है. इस वीडियो को 'अश्लील और घृणित' बताते हुए साफ शब्दों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पैरवी की. "नफरत पैदा करने वाले भाषण के खिलाफ सबसे ताकतवर हथियार उसे दबाना नहीं है बल्कि उन आवाजों को बढ़ाना है जो सहिष्णुता की बात करती हैं और कट्टरपंथ और ईशनिंदा के खिलाफ हैं. मेरा मानना है कि सभी देशों के नेताओं को पूरी ताकत से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. एक राष्ट्रपति और सेना के मुखिया के तौर पर मैं मानता हूं कि लोग मुझे बुरी भली बातें कहेंगे और उनके इस अधिकार को मैं समझता हूं."
अरब देशों सहित कुछ नेताओं ने सीरिया मामले में और अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की मांग की. कतर के अमीर शेख हमाद बिन खलीफा अल थानी ने कहा, "मुझे लगता है अच्छा होगा कि मानवीय, राष्ट्रीय, राजनीतिक और सैनिक कर्तव्यों के आधार पर अरब देश सीरिया में हिंसा रोकने के लिए बीच बचाव करें." सीरिया ने आरोप लगाया है कि कतर, सऊदी अरब और तुर्की सीरियाई विद्रोहियों को हथियार दे रहे हैं.
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने इस्लाम विरोधी वीडियो और फ्रांस में हाल में छपे कार्टूनों को मुद्दा बनाया. और कहा कि इस तरह के कामों को कभी भी स्वतंत्रता या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सही नहीं माना जा सकता. वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा कि हिंसा को अनदेखा नहीं किया जा सकता. "लेकिन दुनिया की शांति को नुकसान वाले काम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मूक दर्शक की तकरह नहीं देखना चाहिए." पाक राष्ट्रपति ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र की विफलता बताया. "कश्मीर संयुक्त राष्ट्र की ताकत की बजाए उसकी विफलता को दिखाता है. हमें लगता है कि इस मुद्दे का हल सिर्फ सहयोग के माहौल में ही निकल सकता है. हम जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों का समर्थन करते हैं कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार शांतिपूर्ण तरीके से अपनी किस्मत का चुनाव करें." हालांकि बाद में जरदारी इस बयान पर सफाई देने के लिए नहीं रुके.
एएम/एनआर (रॉयटर्स, पीटीआई)