कहां गुम हुईं करोड़ों डॉलर की सैटेलाइट
२ जनवरी २०१८रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन के मुताबिक 2.6 अरब रूबल की लागत से बनी सैटेलाइट लापरवाही का शिकार हुई. देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रभारी रोगोजिन ने कहा कि सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए गलत कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की गई थी. लंबे वक्त बाद यह पहला मौका है जब एक के बाद एक रूस के दो सैटेलाइट लॉन्च फेल हुए हैं.
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इससे पहले अप्रैल 2016 में रूस ने एकदम नए वोस्तोचिनी कॉस्मोड्रोम रॉकेट के जरिये कई सैटेलाइटें भेजीं. लेकिन सभी कक्षा में स्थापित होने में नाकाम रहीं. नवंबर 2017 में एक बार फिर नए वोस्तोचिनी कॉस्मोड्रोम रॉकेट का सहारा लिया गया. इस बार रॉकेट में मेटेनॉर-एम नाम की सैटेलाइट भी थी, जिसे विकसित करने में 5.8 करोड़ डॉलर खर्च हुए थे. उसे वेदर सैटेलाइट कहा गया. लेकिन अब वह अंतरिक्ष में कहीं गुम हो चुकी हैं.
मेटेनॉर-एम के साथ ही वोस्तोचिनी कॉस्मोड्रोम रॉकेट पर जर्मनी, नॉर्वे, स्वीडन, अमेरिका, जापान और कनाडा की सैटेलाइटें भी थीं. उप प्रधानमंत्री के मुताबिक इंसानी गलती की वजह से मिशन नाकाम हुआ. जांच का आदेश देते हुए रूस ने यह भी बताया कि पहले लॉन्च की गई अंगोला की पहली सरकारी सैटेलाइट अंगोसैट-1 भी गुम हो चुकी है. मिशनों की नाकामी के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जांच में दखल दिया है. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेशकोव के मुताबिक, "हालात की समीक्षा की जा रही है."
(कूड़ेदान बना अंतरिक्ष)
ओएसजे/आईबी (रॉयटर्स)