कांग्रेस के सिर पर आलोचनाओं के डंडे
५ जून २०११अप्रैल में आमरण अनशन करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सोमवार को लोकपाल बिल के मसौदे पर होने वाली बैठक का बहिष्कार कर दिया. ऐसी भी खबरें हैं कि अन्ना हजारे 8 जून से फिर अनशन पर बैठेंगे. रविवार को अन्ना हजारे ने कहा, "सरकार ने जो किया है वह लोकतंत्र पर एक घातक वार है. सरकार को इस आंदोलन को दबाने और प्रदर्शनकारियों पर आधी रात में हमला करने की कोई जरूरत नहीं थी. आधी रात में बच्चों और महिलाओं पर क्रूरतापूर्ण ढंग से लाठीचार्ज करना ठीक नहीं है. पूरे देश को एक होकर इस बर्बर और अमानवीय कार्रवाई के विरुद्ध खड़ा होना चाहिए."
बाबा रामदेव का भी कहना है कि भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ उनका अनशन जारी है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को अब लाठीचार्ज जैसी गंभीर गलती का एहसास हो रहा है. बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है. वहीं समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस को सबसे बड़ा ठग करार दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लाठीचार्ज को लोकतंत्र को कुचलने वाली कार्रवाई बताया. रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस के लाठीचार्ज को विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भारतीय लोकतंत्र की शर्मनाक घटना करार दिया. यूपी की मुख्यमंत्री मायावती, वामपंथी पार्टियों और अन्य दलों ने सरकार की कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की है.
कांग्रेस की किरकिरी
चौतरफा आलोचना से घिरने के बाद कांग्रेस को एक बैठक बुलानी पड़ी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार शाम बैठक की. बैठक में गृह मंत्री पी चिदंबरम और रक्षा मंत्री एके एंटनी भी मौजूद रहे. इनके अलावा अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और जगदीश टाइटलर भी लाठीचार्ज के बाद हो रही किरकिरी से बचने की रणनीति बनाने की चर्चा में मौजूद रहे.
नाम न बताने की शर्त पर एक नेता ने कहा कि कांग्रेस को पुलिस लाठीचार्ज के बारे में पता नहीं था. पार्टी को यह भी पता नहीं था कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अगुवाई में चार मंत्रियों ने एक जून को नई दिल्ली एयरपोर्ट जाकर बाबा रामदेव से मुलाकात की.
सोनिया गांधी के साथ हुई बैठक से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस मसले पर कपिल सिब्बल से चर्चा की. कपिल सिब्बल बाबा रामदेव के साथ हुई बातचीत की अगुवाई कर रहे थे. लाठीचार्ज के बाद बाबा रामदेव ने उन्हें कुटिल नेता करार दिया और कहा कि सिब्बल उन्हें जबरन समझौते के लिए धमका रहे थे. बहरहाल रविवार को सिब्बल ने प्रधानमंत्री के अलावा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से भी बात की.
राजनीतिक पार्टियों के अलावा आम लोग और सामाजिक संगठन भी पुलिसिया कार्रवाई से नाराज है. सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक और ट्विटर पर कांग्रेस और केंद्र सरकार की खूब आलोचना हो रही है. इनके जवाब में कांग्रेस के नेता सिर्फ यही कह पा रहे हैं कि, "रामलीला मैदान पर योग शिविर लगाने की अनुमति दी गई थी लेकिन बाबा रामदेव वहां राजनीतिक शिविर चलाने लगे." कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि रात को एक बजे शिविर में सोये लोगों पर पुलिस ने लाठियां क्यों चलाईं. पार्टी भ्रष्टाचार और काले धन की बात पर भी चुप्पी साधे हुए है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया