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काबुल की सड़कों से ऑस्कर तक

१८ फ़रवरी २०१३

सड़क पर काबुल की तसवीरें और नक्शे बेचने वाले फवाद को अब तक नहीं पता था कि ऑस्कर का मतलब क्या होता है. फिल्म 'द बुजकाशी बॉयज' से जुड़ जाने के बाद अब वह खुद ऑस्कर समारोह में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहा है.

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15 साल के फवाद मुहम्मदी का फिल्मों से कोई लेना देना नहीं था, उसने कोई अंग्रेजी फिल्में भी नहीं देखीं. लेकिन अब पूरी दुनिया उसे एक उभरते हुए सितारे के रूप में देख रही है. फिल्म 'द बुजकशी बॉयज' में मुख्य भूमिका निभाने वाले फवाद के लिए जीवन कुछ बदल सा गया है. अफगानिस्तान में बनी इस फिल्म को ऑस्कर की दौड़ में 'बेस्ट लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म'  के लिए नामांकित किया गया है.

कैसे मिली फिल्म

काबुल की चिकन स्ट्रीट. यह इलाका सैलानियों में काफी लोकप्रिय है. यहीं अपनी उम्र के कई अन्य लड़कों की तरह फवाद भी शहर के नक्शे बेच कर कुछ पैसे कमा लेता है. बाकी बच्चों की तरह वह भी टूटी फूटी अंग्रेजी बोल कर काम चलाता है. इसी तरह एक दिन उसकी मुलाकात हुई फ्रांस के एक निर्देशक से. इस व्यक्ति ने अमेरिकी निर्देशक सैम फ्रेंच को फवाद के बारे में बताया और इस तरह से फवाद 'द बुजकशी बॉयज' का हिस्सा बना.

फवाद मुहम्मदी का दिन हॉलीवुड की किसी हस्ती जैसा नहीं है. वह तो गरीबी में अपनी मां, बहन और छह भाइयों के साथ काबुल में रहता है. फवाद दस साल का था जब उसके पिता का देहांत हो गया. सड़क पर तस्वीरें बेच कर वह जो थोड़े बहुत पैसे कमा लेता है उनसे घर का खर्च चलता है.

प्यार से प्रेरणा

फिल्म की कहानी की प्रेरणा निर्देशक को अपने निजी जीवन से मिली. 2008 में सैम फ्रेंच प्यार की खातिर अफगानिस्तान पहुंचे. उस समय उनकी प्रेमिका काबुल में ब्रिटेन के दूतावास में काम करती थी. उसके करीब रहने के लिए उन्होंने अफगानिस्तान जाने का फैसला किया. कुछ समय बाद उनकी गर्लफ्रेंड तो अफगानिस्तान से लौट आई, लेकिन उन्होंने हिंदुकुश में ही रहने का फैसला किया.

2008 में उन्होंने 'बुजकशी बॉयज' लिखी और फिर तीन साल बाद उसे फिल्म की शक्ल देना शुरू किया. फिल्म के लिए उन्हें दो लड़कों की जरूरत थी. बस दो ही दिन के ऑडिशन के बाद फ्रेंच को यकीन हो गया कि फवाद उनके गढ़े किरदार के लिए सही है. फ्रेंच को अपनी फिल्म पर पूरा भरोसा था, लेकिन ऑस्कर में उसका नामांकित होना उनके लिए भी हैरान कर देने वाला था, "मैं हमेशा से जानता था कि यह एक खास फिल्म है, लोगों को भी यह खूब पसंद भी आई. लेकिन ऑस्कर के बारे में तो मैंने कभी भी नहीं सोचा था." यह खबर जब मिली तो फ्रेंच ने फवाद को फोन किया और वह इसे सुन कर अपने आंसुओं को रोक ना सका.

क्या है बुजकशी

'द बुजकशी बॉयज' अफगान फिल्म प्रोजेक्ट का हिस्सा है. प्रोजेक्ट का मकसद है अफगानिस्तान में युवा निर्देशकों को लघु फिल्में बनाने का प्रशिक्षण देना, ताकि वे बिना दूसरों की मदद के स्वतंत्र रूप से फिल्में बना सकें. फिल्म का नाम रखा गया है अफगानिस्तान के एक मशहूर खेल पर. बुजकशी में घोड़े पर सवार लोगों को मैदान में रखी मरी हुई बकरी को उठा कर लाना होता है. इस खेल में एक साथ कम से कम बीस घुड़सवार हिस्सा लेते हैं और बकरी के लिए लड़ते हैं. बुजकशी फारसी का शब्द है, बुज यानी बकरी और कशी यानी खींचना. इस खेल के कोई नियम नहीं, इसलिए यह खतरनाक भी है. खास कर अफगानिस्तान के उत्तरी भाग में यह बेहद लोकप्रिय है.

Buzkashi
बुजकशीतस्वीर: AP

फिल्म ने फवाद को भले ही स्टार बना दिया हो, लेकिन आज भी वह अपना वही काम कर रहा है, "मैं पहले नक्शे बेचा करता था, आज भी वही कर रहा हूं. फर्क बस इतना है कि अब लोग मुझे पहचानने लगे हैं, पर्यटक भी और यहां रहने वाले भी." फवाद कहता है कि फिल्म की बदौलत अब उसकी आमदनी बढ़ गयी है, "अब ज्यादा सैलानी मुझसे नक्शे खरीदने आते हैं या कई बार वे मेरे साथ फोटो खिंचवाने भी आ जाते हैं." चिकन स्ट्रीट पर नक्शे बेचने वाले बाकी के बच्चे औसतन रोज के पचास रुपये ही कमा पाते हैं, लेकिन फवाद को अब कभी 250 तो कभी 1,000 रुपये तक मिल जाते हैं.

रैम्बो से मिलना है

फिल्म दो लड़कों की कहानी है. एक सड़कों पर सामान बेचता है तो दूसरा लुहार का बेटा है. दोनों ही अपने सपने पूरे करना चाहते हैं. फवाद का सपना है बुजकशी जीतना. हालांकि असल जिंदगी में फवाद पायलट या अभिनेता बनना चाहता है. यदि वह ऑस्कर के समारोह के लिए अमेरिका जाता है तो वह तीन चीजें करना चाहेगा: वह अपनी उम्र के अमेरिकी बच्चों से मिलना चाहता है, उनका स्कूल देखना चाहता है और रैम्बो से मिलना चाहता है. सिल्वेस्टर स्टेलोन की रैम्बो अफगानिस्तान में बेहद लोकप्रिय रही है.

फिल्म में भूमिका के लिए फवाद को एक हजार डॉलर यानी करीब 50,000 रुपये मिले. इसमें से पांच हजार उसने रखे और बाकी उसकी मां को दिए गए. परिवार फवाद की सफलता और इस आर्थिक मदद से खुश है. अब इंतजार है 24 फरवरी का जब लॉस एंजेल्स के डॉल्बी थिएटर में ऑस्कर पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी. फवाद का अमेरिका पहुंचना अभी तय नहीं है. फिल्म की टीम कोशिश कर रही है कि फवाद मुहम्मदी और फिल्म में दूसरा किरदार निभाने वाले जवान मर्द पैज को अमेरिका ले जाने के लिए किसी तरह रकम जमा की जा सके.

रिपोर्ट: मसूद सैफुल्लाह/आईबी

संपादन: आभा मोंढे