काले धन को लेकर यूरोप में झगड़ा
३ अप्रैल २०१२स्विट्जरलैंड अपनी बैंक गोपनीयता और दुनिया भर के लोगों के काले धन वाले अकाउंटों के लिए जाना जाता है. लेकिन पश्चिमी देश टैक्स चोरों के इस पनाहगाह पर अंकुश लगाना चाहते हैं. पिछले साल एक विवादास्पद कार्रवाई में जर्मन टैक्स अधिकारियों ने स्विस बैंक के एक कर्मचारी से जर्मन नागरिकों के खातों वाली जानकारी खरीद ली ताकि टैक्स चोरों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
दोनों देश इस विवाद को सुलझाने के लिए समझौते पर बातचीत कर रहे हैं लेकिन विवाद तब गहरा गया जब पिछले हफ्ते जर्मन सरकार ने कहा कि टैक्स डील अपने वर्तमान रूप में संसद में पास नहीं हो सकता. इसके बाद पता चला कि स्विस अधिकारियों ने उन तीन जर्मन टैक्स इंस्पेक्टरों के खिलाफ वारंट जारी कर दिया है जिन्होंने क्रेडिट स्विस बैंक के जर्मन ग्राहकों की जानकारी वाली चोरी की सीडी खरीदी थी. इतना ही नहीं स्विट्जरलैंड ने जर्मन सरकार से उन्हें गिरफ्तार करने में मदद मांगी है.
स्विस का साथ
जर्मनी में इस घटना पर हंगामा हो गया है. बहुत से लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं तो कुछ हलकों से स्विट्जरलैंड को समर्थन भी मिला है. जर्मन वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले ने हंगामे को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, "हम नेताओं के लिए स्विट्जरलैंड पर ऐसे इलजाम लगाने का कोई मतलब नहीं, जैसे कि वह कानून शासित देश न हो." शौएब्ले का कहना है कि जरूरत दो देशों की कानून व्यवस्था के विवाद को सुलझाने की है.
चांसलर अंगेला मैर्केल ने सोमवार को इस बात से इनकार किया है कि दोनों देशों के बीच गंभीर विवाद है. मैर्केल के प्रवक्ता ने कहा है कि गिरफ्तारी वारंट इस बात का सबूत है कि टैक्स कानून पर दोनों देशों के नजरिए में आधारभूत अंतर है. उन्होंने नए टैक्स समझौते को संसद से जल्द पास कराने की जरूरत पर जोर दिया. जनवरी 2013 से लागू होने वाले इस समझौते का संसद के दोनों सदनों में पास होना जरूरी है. जर्मन संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट में चांसलर मैर्केल के सत्ताधारी मोर्चे का बहुमत नहीं है.
वित्त मंत्री शौएब्ले विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी पर समझौते का समर्थन करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. जिन टैक्स इंस्पेक्टरों के खिलाफ वारंट जारी किया गया है कि वे नॉर्थराइन वेस्टफेलिया प्रांत के हैं, जहां सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की सरकार है. एसपीडी के अध्यक्ष जिगमार गाब्रिएल ने अपनी पार्टी के कड़े रुख पर जोर देते हुए कहा है कि स्विट्जरलैंड अपराधियों की अपने देश के कर अधिकारियों से करोड़ों की चोरी करने में मदद कर रहा है. उनका आरोप है कि जर्मन और स्विट्जरलैंड का समझौता इस मॉडल को कानूनी बना देगा.
करोड़ों करोड़ काला पैसा
जर्मनी में इस बात पर नाराजगी है कि उन अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं जिन्होंने करचोरी रोकने के लिए कदम उठाए. जर्मनी और स्विट्जरलैंड के बीच हो रहे समझौते के अनुसार 2013 से जर्मन खाताधारकों को उतना ही टैक्स देना होगा जितना उन्हें जर्मनी में देना पड़ता. जिन करचोरों का पता अभी तक नहीं चला है, उनके खातों पर पिछली अवधि के लिए 19 से 34 प्रतिशत एकमुश्त टैक्स लिया जाएगा और उसे जर्मन सरकार को भेजा जाएगा. समझौते के विरोधियों का कहना है कि इसके बाद यह काला धन सफेद हो जाएगा और उसके मालिक के बारे में कोई जानकारी भी नहीं मिलेगी. एक अनुमान के अनुसार जर्मन नागरिकों ने 130 से 180 अरब यूरो स्विस बैंकों में जमा कर रखा है.
स्विट्जरलैंड ने जर्मनी के टैक्स इंस्पेक्टरों पर आर्थिक जासूसी और बैंक गोपनीयता कानून को तोड़ने का आरोप लगाया है. जर्मन टैक्स अधिकारियों के ट्रेड यूनियन के प्रमुख थॉमस आइगेनथालर ने मांग की है कि यदि स्विट्जरलैंड अपने फौजदारी कानून को लागू करने पर जोर दे रहा है तो जर्मनी को भी अपने आपराधिक कानून का इस्तेमाल करना चाहिए और क्रेडिट स्विस बैंक के अधिकारियों पर करचोरी में मदद के लिए मुकदमा दायर कर उनके खिलाफ वारंट जारी करना चाहिए.
भारत में भी स्विस बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने की मांग उठती रहती है. जर्मन अधिकारियों द्वारा स्विटजरलैंड और लक्जमबर्ग के बैंक खातों की जानकारी खरीदे जाने का लाभ भारत को भी मिला है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जर्मन अधिकारियों ने भारतीय ग्राहकों से संबंधित कुछ जानकारियां भारत को दी हैं, जिसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई. भारत सरकार ने गोपनीयता का हवाला देकर कर चोरों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है.
रिपोर्ट: महेश झा (एएफपी, डीपीए)
संपादन: ए जमाल