किंगफिशर और एयर इंडिया एक्सप्रेस की खतरे की उड़ान
५ जनवरी २०१२एक भारतीय अखबार ने डीजीसीए के ऑडिट का हवाला देते हुए कहा है कि किंगफिशर एयरलाइंस का फ्लाइंग लाइसेंस खतरे में पड़ सकता है. एयरलाइन को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं जताई जाने लगी हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है, "वित्तीय मुश्किल सुरक्षा पर असर डाल सकती है. लिहाजा उनसे एयरलाइन ऑपरेटर परमिट वापस लेने की संभावना बन रही है."
डीजीसीए के ऑडिट में सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया की खिंचाई भी की गई है. सस्ती सेवा एयर इंडिया एक्सप्रेस भी सुरक्षा मानकों से खेल रही है. ऑडिट में एयर इंडिया एक्सप्रेस के ऑपरेशंस पर अंकुश लगाने की बात की गई है. मई 2010 में एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान मैंगलोर में क्रैश हुआ. हादसे में 158 लोग मारे गए.
डीजीसीए के प्रमुख भारत भूषण ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में पुष्टि की है कि दोनों एयरलाइन्स से सुधार के उपाय पूछे गए हैं. हालांकि दोनों एयरलाइनों से सुरक्षा मानकों में किसी तरह की ढील देने की बात को खंडन का किया है. किंगफिशर के मुताबिक उसका सेफ्टी स्टैंडर्ड आला दर्जे का बना हुआ है. एयर इंडिया एक्सप्रेस भी अपने सुरक्षा मानकों का बचाव कर रही है.
शराब कारोबारी विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस भारी कर्ज से जूझ रही है. कंपनी की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि उसे रोज सभी विमान उड़ाने के लाले पड़ रहे हैं. सितंबर में कंपनी सस्ती सेवा किंगफिशर एयरलाइंस रेड सर्विस को बंद कर चुकी है. कंपनी के 15 विमान जमीन पर उतारने पड़े हैं. उसके पास जहाजों की देख रेख तक के पैसे नहीं बचे.
किंगफिशर एयरलाइंस 2005 में अस्तित्व में आई. लेकिन कंपनी आज तक मुनाफे का मुंह नहीं देख पाई है. एयरलाइन उद्योग पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फॉर एशिया पेसिफिक एविएशन के मुताबिक किंगफिशर को तुरंत 40-50 करोड़ डॉलर की जरूरत है.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल