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किंग्स इलेवन के निलंबन पर हाई कोर्ट का स्टे

८ दिसम्बर २०१०

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंडियन प्रीमियर लीग से किंग्स इलेवन पंजाब को बाहर किए जाने के फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी है. कोर्ट ने किंग्स इलेवन को डेढ़ करोड़ डॉलर से ज्यादा की बैंक गारंटी देने का आदेश दिया है.

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तस्वीर: UNI

मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एसजे वजीफदार का कहना है कि दस्तावेजों को देखकर पता चला है कि किंग्स इलेवन का पक्ष मजबूत है. किंग्स इलेवन जनवरी में आईपीएल के चौथे सीजन के लिए खिलाड़ियों की बोली की प्रक्रिया में शामिल हो सकती है. इससे पहले जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा हितों के टकराव के चलते मामले से अलग हो गए.

बीसीसीआई ने आपत्ति जताई थी कि श्रीकृष्णा बॉम्बे डाइंग के मालिक नुस्ली वाडिया की एक मामले में पैरवी कर चुके हैं. वाडिया की किंग्स इलेवन में हिस्सेदारी है जिससे जस्टिस श्रीकृष्णा के सामने हितों के टकराव का मसला खड़ा हो रहा था.

अब मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस वजीफदार का कहना है कि किंग्स इलेवन को पिछले आईपीएल सीजन में खिलाड़ियों का बकाया वापस करना होगा. जज के मुताबिक यह मामले राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का प्रश्न है.

कोर्ट ने किंग्स इलेवन के वकील दरियस खम्बाटा का बयान भी दर्ज किया जिसके मुताबिक किंग्स इलेवन में शेयरों की हिस्सेदारी नहीं बदलेगी और न ही कोर्ट की इजाजत के बिना शेयर नहीं बेचे जाएंगे. इनमें प्रीति जिंटा और उद्योगपति नेस वाडिया की हिस्सेदारी है. बीसीसीआई का कहना है कि बिना उसकी सहमति के किंग्स इलेवन के शेयरों के बंटवारे में उलटफेर किया गया जो समझौते का उल्लंघन है.

कोर्ट ने किंग्स इलेवन को 1 करोड़ 80 लाख डॉलर की बैंक गारंटी उन खिलाड़ियों के लिए पेश करने का आदेश दिया है जिन्हें वह आईपीएल की अगली बोली के दौरान खरीद सकती है. इसके अलावा बीसीसीआई के लिए भी 35 लाख डॉलर की बैंक गारंटी देनी होगी. बीसीसीआई बैंक गारंटी इसलिए चाहता है क्योंकि उसे डर है कि किंग्स इलेवन के हटने और नई टीम के लिए बोली न लगने से उसके वित्तीय नुकसान होगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार

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