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कितना सफल रहेगा भूख सम्मेलन

१६ नवम्बर २००९

इटली की राजधानी रोम में तीन दिन के विश्व खाद्य सुरक्षा सम्मेलन के पहले दिन जारी बयान में कहा गया है कि ग़रीब देशों को कृषि मदद बढ़ाई जाएगी. लेकिन इसके लिए न कोई टार्गेट तय किया गया न ही कोई टाइम फ़्रेम.

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तस्वीर: AP

विश्व खाद्य और कृषि संगठन की मांग थी कि भुखमरी से निपटने के उपायों के लिए दी जा रही 44 अरब डॉलर की मदद को भी बढ़ाया जाए लेकिन पहले दिन इस पर कोई रज़ामंदी नहीं बनी.
दुनिया भर के कई देश इस सम्मेलन में मौजूद हैं. लेकिन सबसे अमीर देशों की ग़ैरमौजूदगी पर चिंता भी जताई जा रही है. बैठक से पहले दुनिया में एक अरब भूखे लोगों के प्रति अपनी संवेदना जताने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने एक दिन का उपवास भी रखा. रोम सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में विश्व खाद्य और कृषि संगठन करा रहा है. उसका कहना है कि भूख से निपटने के लिए निजी क्षेत्र से भी सहयोग लेना होगा. लेकिन निजी भागीदारी को लेकर विवाद भी बहुत हैं.

दुनिया में हर छह सेकंड में एक बच्चा भूख से दम तोड़ देता है. एक अरब से ज़्यादा लोग दुनिया में भूखे हैं. भुखमरी से निपटने और निजी भागीदारी के सवाल पर ही रोम में आज से ये हंगर सम्मिट यानी भूख पर बैठक हो रही है.

लेकिन इससे पहले इटली की औद्यौगिक राजधानी कहे जाने वाले मिलान शहर में नामचीन कारोबारियों और बिजनेस जगत के धुरंधरों की एक बैठक रविवार को हुई जिसमें भुखमरी से निपटने के उपायों में हिस्सा बनने के बारे में चर्चा की गई. इस मौके पर विश्व और खाद्य संगठन के महानिदेशक याक ड्युफ ने उद्योगपतियों से कहा कि भुखमरी की समस्या से निजात पाने के लिए निजी सेक्टर एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है, निवेश के रूप में ही नहीं बल्कि विशेषज्ञता के लिहाज़ से भी. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक आखिम श्टाइन कहते हैं कि खेती के तरीकों में बदलाव समय की ज़रूरत हैं. खेती को बहुत नुकसान पहुंचा है और इसमें नई तकनीक लानी ही होगी.

लेकिन स्वयंसेवी संस्थाओं और पर्यावरण संगठनों को डर है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी तथाकथित मदद के बहाने विकासशील देशों की खेती को हड़पना चाहती हैं. वे एक भीषण उत्पादन के लिए ज़मीनों की तलाश कर रही हैं. फ्रांस में ओक्सफाम संस्था का कहना है कि फ़र्टिलाइज़रों और संकर बीजों ने पारंपरिक खेती और किसानी को नष्ट ही किया है. निजी कंपनियां खेती जैसे क्षेत्र में भी मुनाफ़ा ही देखती आई हैं और आगे भी देखेंगीं. वे एक औद्योगिक कृषि खड़ा करना चाहते हैं. लेकिन मोनसांतो और सिनजेंटा जैसी बड़ी बीज कंपनियों के मालिक होवार्ड मिनिग का कहना है कि आलोचना के बजाय लोगों पर छोड़ दिया जाए कि उन्हें क्या चाहिए. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जेनेटिक बीजों के लिए अफ्रीका एक बड़ा बाज़ार बन सकता है. लेकिन अफ़ीकी समाज का अध्ययन करने वाले अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता रॉबर्ट कालदेरेसी का कहना है कि अफ़्रीकी मुल्कों में खेती के अत्याधुनिक तरीके लाने से पहले ये भी देखना होगा कि वहां ज़मीन की उत्पादन क्षमता को कैसे बचाए रखा जा सकता है.

रोम में आज से हो रहे भूख सम्मेलन को लेकर और भी कई विवाद हैं. दुनिया के सबसे अमीर आठ देशों के नुमायंदों में से एक इटली ही है जो सम्मेलन में मौजूद रहेगा. बाकी नहीं आ रहे हैं. यूं दुनिया के साठ देशों के नेता बैठक में होंगे. लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने इस बैठक को महज़ वक़्त की बरबादी करार दिया है. जब बड़े देश ही अपने सरोकारों को लेकर गंभीर नहीं तो ऐसी बैठकों का क्या फ़ायदा, ये कहना है इन स्वयंसेवी संस्थाओं का.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस जोशी

संपादन: ए कुमार