कुत्ते ने बदला क्लासरूम का माहौल
३ जून २०११आइला कुत्ता है और उन कुत्तों की बढ़ती संख्या में शामिल है जिनका इस्तेमाल देश के 1000 से अधिक स्कूलों में पढ़ाने के साधन के रूप में किया जा रहा है. जब स्कूल टीचर अन्ना श्मिट आइला को लेकर स्कूल में आती हैं तो वहां पढ़ने वाले 8 से 10 साल के बच्चों के चेहरे पर उत्सुकता और उत्तेजना साफ साफ देखी जा सकती है. श्मिट कहती हैं, "कुत्ते ने क्लासरूम का माहौल पूरी तरह से बदल दिया है."
बच्चे शुरू में आइला के साथ उसे कमांड देने का अभ्यास करते हैं. उन्हें कुत्तों के पास होने पर क्या व्यवहार करना है, इसका जवाब भी देना पड़ता है. 28 वर्षीया श्मिट पूछती हैं, "कुत्ता जब पूंछ हिलाता है तो उसका क्या मतलब होता है?" तुरंत जवाब आता है, "वह उत्तेजित है."
आइला ने क्लासरूम में सनसनी पैदा करने से ज्यादा कुछ बदला है. श्मिट कहती हैं, "कुत्ते की वजह से अब बच्चे पूरी तरह क्लास में घुलमिल गए हैं." वे एक बच्चे का उदाहरण देती हैं जो पहले गुमसुम रहता था और क्लास की गतिविधियों में कतई भाग नहीं लेता था. लेकिन आइला के आने के बाद उसने कुत्ते से और उसके बारे में दूसरों से बात करना शुरू कर दिया.
कुत्ते ने बच्चों में साक्षरता और अंक ज्ञान बढ़ाने में भी मदद दी है. स्कूली छात्रा जोई का कहना है कि आइला के साथ खेल खेल में सीखने में काफी मजा आता है. स्कूली कुत्ते पर बनी वेबसाइट शूलहुंडवेब की संस्थापिका लीडिया आग्सटेन का मानना है कि कुत्तों की मदद से बच्चों को सिखाने की रुझान और लोकप्रिय होगी. इजरलोन शहर के अपने स्कूल में दो कुत्तों को लाने वाली शिक्षिका आग्सटेन कहती हैं, आधे कुत्तों का इस्तेमाल सामान्य सरकारी स्कूलों में किया जाता है जबकि आधों का इस्तेमाल उन स्कूलों में होता है जहां सीखने में दिक्कत वाले छात्र पढ़ते हैं. उनका कहना है कि कुत्ते सीखने का अच्छा माहौल तैयार करते हैं, वे लोगों के मूड को बेहतर समझते हैं.
लीडिया आग्सटेन अक्टूबर में डॉर्टमुंड शहर में स्कूली कुत्तों के पहले सम्मेलन का आयोजन कर रही हैं. इसमें भाग लेने के लिए 80 कुत्तों के मालिकों ने अब तक अपना नाम दर्ज कराया है. ओवरवीजेन प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका गाब्रिएले ओसवाल्ड हानेमन कहती हैं कि उनके कुत्तों नाला और लुएना ने क्लासरूम का चेहरा बदल दिया है. "बच्चे अब एक दूसरे के साथ बिल्कुल अलग तरीके से व्यवहार करते हैं और मिलजुल कर कुत्ते का ख्याल रखते हैं."
आग्सटेन का कहना है कि हर कुत्ता बच्चों को प्रशिक्षण देने में मदद का काबिल नहीं होता. खासकर यदि उन्हें ठीक से प्रशिक्षण नहीं मिला हो. उन्हें क्लासरूम में आराम के लिए एक शांत जगह की भी जरूरत होती है. आइला अक्सर टीचर की टेबल की पीछे बैठ जाती है और फिर आराम से अपनी हड्डी चबाने लगती है. श्मिट बच्चों का पढ़ाती रहती हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: ए जमाल