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कुरान मामले पर उबलता अफगानिस्तान

२२ फ़रवरी २०१२

अफगानिस्तान में नाटो की लापरवाही से कुरान की प्रतियां जलाए जाने पर जबरदस्त विरोध जारी है. काबुल, जलालाबाद और हेरात में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. लगातार दूसरे दिन प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुई हैं.

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तस्वीर: Reuters

मंगलवार को नाटो ने स्वीकार किया कि सावधानी न बरतने की वजह से मुसलमानों के पवित्र ग्रंथ की प्रतियां जल गईं. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और "अमेरिका मुर्दाबाद", "ओबामा मुर्दाबाद" और "करजई मुर्दाबाद" के नारे लगाए. काबुल के बाहरी इलाके में लोगों पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें कई लोग घायल हो गए.

पुलिस प्रवक्ता असमत एस्तानाकजई ने कहा, "वे काबुल की ओर बढ़ रहे हैं. पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश कर रही है. हमने इलाके में कुमुक भेजी है." प्रदर्शनकारियों ने रास्ते में दुकानों में आग लगा दी और कारों को नुकसान पहुंचाया. पूर्वी शहर में प्रदर्शनकारियों ने तालिबान नेता "मुल्ला उमर जिंदाबाद" के नारे भी लगाए.

अमेरिकी सरकार और नाटो के नेतृत्व वाली सेना के कमांडर जॉन एलन ने धार्मिक ग्रंथ के साथ अनुचित व्यवहार के लिए माफी मांगी है. इससे पहले बागराम एयरबेस के निकट स्थानीय मजदूरों को इन ग्रंथों की जली हुई प्रतियां मिली थीं. नाटो और अमेरिकी सरकार ने कहा है कि सैनिक को धार्मिक ग्रंथों और उनसे जुड़ी दूसरी चीजों के साथ उचित व्यवहार की ट्रेनिंग दी जाएगी.

Afghanistan neue Proteste wegen Koran-Verbrennung
तस्वीर: Reuters

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्नी ने इस घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि यह अफगान जनता की धार्मिक आस्थाओं के लिए अमेरिकी सैनिकों के आदर को नहीं दिखाती है. अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा ने कहा कि वे इसे अस्वीकार करते हैं. उन्होंने जांच की समीक्षा करने और ऐसी घटना के दोबारा न होने के लिए सभी कदम उठाने का आश्वासन दिया है.

अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक बयान में घटना की निंदा की है और जांच के लिए एक प्रतिनिधिमंडल की नियुक्ति की है. उन्होंने कहा कि आरंभिक रिपोर्टों के अनुसार चार प्रतियां जली हैं.

कुरान मुसलमानों का सबसे पवित्र ग्रंथ है और उसे जलाना खुदा के खिलाफ बहुत बड़ा अपराध माना जाता है. उसका धर्म में इतना महत्व है कि इस्लामी शिक्षा में सिखाया जाता है कि उससे किस तरह पेश आना है. यहां तक कि उसे छूने के लिए भी शरीर का शुद्ध होना जरूरी है.

मामले को जानने वाले एक पश्चिमी सैनिक अधिकारी ने कहा है कि ऐसा लगता है कि परवान डिटेंशन सेंटर की लाइब्रेरी में कैदी धार्मिक ग्रंथों का इस्तेमाल उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए कर रहे थे और उस पर लिख कर विचारों का आदान प्रदान कर रहे थे. इसके बाद कई सौ प्रकाशनों को लाइब्रेरी से हटा दिया गया.

प्रांतीय परिषद के प्रमुख अहमद जकी जाहिद ने कहा है कि अमेरिकी सैनिक अधिकारी उन्हें रद्दी जलाने की जगह ले गए जहां कुरान सहित 60-70 किताबें मिली हैं. इनका इस्तेमाल डिटेंशन सेंटर के कैदी करते थे. अफगान सेना के जनरल अब्दुल जलील रहीमी ने कहा है कि उन्होंने और दूसरे अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की है और उन्हें शांत करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, "प्रदर्शनकारी बहुत खफा हैं और विरोध रोकना नहीं चाहते."

एक महीने पहले एक वीडियो सामने आया था जिसमें अमेरिका के चार सैनिकों को तालिबान विद्रोहियों के शरीर पर पेशाब करते दिखाया गया था. उसके बाद से अफगानिस्तान में पश्चिम विरोधी भावनाएं तेज हो रही हैं.

रिपोर्टः एपी, एएफपी, डीपीए/महेश झा

संपादनः एन रंजन