1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

केवल दवा से नहीं दूर होगा कैंसर

४ फ़रवरी २०१४

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक दुनिया भर में कैंसर के मामले पचास फीसदी बढ़ जाएंगे. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कैंसर से जंग केवल दवाओं से नहीं जीती जा सकती, सरकारों को भी आगे आना होगा.

https://p.dw.com/p/1B2P8
तस्वीर: picture-alliance/ZB

विश्व कैंसर दिवस के मौके पर डब्ल्यूएचओ की फ्रांस स्थित एजेंसी आईएआरसी ने रिपोर्ट जारी कर सरकारों से इस दिशा में और सक्रिय होने की मांग की है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) की रिसर्च में बताया गया है कि 2012 में दुनिया भर में कैंसर के सालाना नए मामले बढ़ कर 1.41 करोड़ हो गए हैं. 2030 तक इनके 2.2 करोड़ हो जाने की आशंका है. इसके अलावा कैंसर के कारण मरने वालों की संख्या सालाना 82 लाख से बढ़ कर 1.3 करोड़ हो जाने का भी खतरा है.

आईएआरसी के निदेशक डॉक्टर क्रिस्टोफर वाइल्ड ने कहा कि सभी देशों की सरकारों को इस ओर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, "हमें कैंसर के कारणों के बारे में अब बहुत जानकारी है और हम यह भी जानते हैं कि शुरुआती स्टेज में इसे कैसे पहचानना है. लेकिन समस्या यह है कि इस सारी जानकारी का राष्ट्रीय स्तर पर फायदा नहीं उठाया जाता."

ENG Colon cancer incidence per year and 100.000 inhabitants

रिपोर्ट के बारे में लंदन में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह सोच लेना कि हां हम इस समस्या से निपट लेंगे, काफी नहीं है. केवल यह सोच समाधान नहीं है." वाइल्ड ने कहा कि अगर वक्त रहते कैंसर के बारे में पता चल जाए तो इस से होने वाली पचास फीसदी मौतों को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा, "इन संख्याओं के पीछे कोई अकेला शख्स नहीं है, उसका पूरा परिवार है, जो व्यथित है." 2011 में कैंसर के इतने मामले सामने आए कि दिल के रोगियों की संख्या भी कम लगने लगी.

खर्च नहीं निवेश

हर पांच साल में प्रकशित होने वाली इस रिपोर्ट के लिए ढाई सौ वैज्ञानिकों ने मिल कर 40 से ज्यादा देशों के आंकड़े जमा किए. रिपोर्ट में बताया गया है कि हर पांच में से एक पुरुष और हर छह में से एक महिला को 75 साल की उम्र तक कैंसर हो जाता है. साथ ही हर आठ में से एक पुरुष और हर बारह में से एक महिला की इस बीमारी के कारण जान जाती है. सबसे ज्यादा मामले फेफड़ों, मलाशय और स्तन कैंसर के दर्ज किए गए हैं. जबकि सबसे ज्यादा मौतें फेफड़ें, लीवर और पेट के कैंसर से हुई हैं.

कुल 60 फीसदी से भी ज्यादा मामले अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में होते हैं. एशिया में कैंसर के आधे से ज्यादा मामले चीन से जुड़े हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब देशों में स्वास्थ्य सेवाएं ना होने से इन्हें ज्यादा खतरा है. साथ ही इस बीमारी के कारण सरकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. एक अनुमान के अनुसार 2010 में सरकारों को कैंसर के कारण 1,160 अरब डॉलर का खर्च उठाना पड़ा.

सरकारों का ध्यान इस तरफ खींचते हुए रिपोर्ट लिखने वाले बैर्नार्ड स्टेवार्ट ने कहा, "सरकारों को राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखानी होगी ताकि समय रहते लोगों की जांच की जा सके. उन्हें इसे खर्च नहीं, बल्कि निवेश के रूप में देखना होगा."

रिपोर्ट के अनुसार लोगों को अपनी जीवनशैली बदलने की जरूरत है. कैंसर के मुख्य कारणों में सिगरेट तंबाकू और शराब के सेवन के अलावा फास्ट फूड खाना और कसरत ना करना शामिल है.

आईबी/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)