कैंपबेल ने इराक़ युद्ध का बचाव किया
१३ जनवरी २०१०जांच समिति के सामने सुनवाई के दौरान कैंपबेल ने शिद्दत के साथ इराक़ पर हमले के फ़ैसले का बचाव किया. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने एक ख़ुफ़िया रिपोर्ट (डोसियर) का हवाला देते हुए ब्रितानी संसद में बयान दिया था कि इराक़ के पास रासायनिक और जैविक हथियार हैं जिन्हें 45 मिनट के भीतर सक्रिय किया जा सकता है.
टोनी ब्लेयर के बेहद क़रीबी रहे कैंपबेल ने यह तो माना कि डोसियर और अधिक स्पष्ट हो सकता था लेकिन उसके 'एक एक शब्द का बचाव' भी किया और इराक़ पर हमले के फ़ैसले का समर्थन भी. "एक देश के रूप में हमें गर्व होना चाहिए कि हम इतिहास के सबसे क्रूर, दमनकारी और बर्बर शासन के सामने खड़े हुए."
एलेस्टर कैंपबेल के पास इराक़ हमले के समर्थन में ज़्यादातर सबूत 2002 के समय के हैं जब टोनी ब्लेयर सरकार की इराक़ के प्रति चिंता बढ़ रही थी और इसी मुद्दे पर एक डोसियर भी जारी किया गया था.
बीबीसी ने डोसियर के ख़िलाफ़ रिपोर्टिंग करते हुए बताया था कि इसमें इराक़ से ख़तरे को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. इसके बाद ब्लेयर सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी. सुनवाई के दौरान कैंपबेल ने दलील दी कि उन्होंने डोसियर तैयार करने वाले अधिकारी जॉन स्कारलैट को कभी भी नहीं कहा था कि इराक़ में व्यापक विनाश के हथियार के ख़तरे को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जाए.
पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर का समर्थन करते हुए कैंपबेल ने कहा कि ब्लेयर सद्दाम हुसैन के साथ शांतिपूर्वक ही पेश आना चाहते थे. हालांकि कैंपबेल ने माना कि ब्लेयर जॉर्ज बुश को आश्वासन दे चुके थे कि अगर सद्दाम हुसैन के साथ टकराव का कूटनीतिक समाधान नहीं निकला तो फिर सैन्य समाधान के लिए वह तैयार हैं.
कैंपबेल ने बताया कि इराक़ पर हमले का फ़ैसला लेते समय ब्लेयर ने वर्तमान प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन से भी मशविरा किया था. ब्रिटेन में चिलकोट जांच समिति के सामने सुनवाई के लिए आने वाले बड़े नामों में कैंपबेल पहले हैं और अगले कुछ दिनों में टोनी ब्लेयर भी ग़वाही के लिए आ सकते हैं. गॉर्डन ब्राउन मई में आम चुनावों के बाद इस समिति के सामने पेश होंगे.
उधर नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री ज्यान पीटर बालकेएनेन्डे ने स्वतंत्र जांच आयोग की रिपोर्ट का स्वागत किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नीदरलैंड्स ने इराक़ पर हमले के लिए किसी तरह का सैन्य सहयोग नहीं दिया था. प्रधानमंत्री बालकेएनेन्डे ने कहा कि उन्हें ख़ुशी है कि इस तरह की अफ़वाहें बेबुनियाद साबित हुई हैं. कमीशन को नीदरलैंड्स की ओर से सैनिक समर्थन का कोई सबूत नहीं मिला.
इराक़ पर हमला मार्च 2003 में किया गया था. इराक़ में जीत के कुछ महीनों के बाद सद्दाम हुसैन को पकड़ लिया गया था और फिर उन्हें फांसी दे दी गई थी. कुछ दिन पहले टोनी ब्लेयर ने कहा था कि अगर इराक़ में जनसंहार के हथियार न भी होते तो भी वह हमले का समर्थन करते.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार