कोरिया विवाद से सारी दुनिया में हलचल
२३ नवम्बर २०१०जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस नए सैनिक उकसावे से इस क्षेत्र में शांति खतरे में पड़ गई है. उन्होंने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए स्थिति को सामान्य बनाने की दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली मीयुंग बाक की कोशिशों की सराहना की है. उन्होंने कहा कि जर्मन सरकार इस मुश्किल परिस्थिति में दक्षिण कोरिया व उसकी सरकार की कोशिशों को समर्थन का आश्वासन देती है.
इस बीच झड़प में मारे जाने वाले दक्षिण कोरियाई सैनिकों की संख्या दो हो गई है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव ने कहा कि उत्तर कोरिया की ओर से तोपखानों से हमले के बाद संघर्ष बढ़ने का विशाल खतरा पैदा हो गया है. पत्रकारों से उन्होंने कहा कि क्षेत्र में तनाव बढ़ता जा रहा है. यह ज़रूरी है कि सभी सैनिक हमले रोके जाएं.
ब्रिटेन ने भी उत्तर कोरिया की ओर से बेवजह हमले की निंदा की है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने कहा कि हमले से प्रायद्वीप में तनाव और बढ़ेगा. उन्होंने उत्तर कोरिया से ज़ोरदार ढंग से मांग की कि वह ऐसे हमलों से बाज आए और कोरियाई युद्धविराम समझौते का पालन करे. साथ ही उन्होंने संयम बरतने के लिए दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली मीयुंग बाक द्वारा की गई अपील का स्वागत किया.
अमेरिका ने हमले के बाद दक्षिण कोरिया की प्रतिरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया है. व्हाइट हाउस से जारी वक्तव्य में दक्षिण कोरिया के येओनपीओंग द्वीप पर उत्तर कोरियाई हमले की कड़ी निंदा की गई है, जिसमें कम से कम दो सैनिक मारे गए हैं और 18 सैनिक व असैनिक नागरिक घायल हो गए हैं. व्हाइट हाउस के प्रवक्ता रॉबर्ट गिब्स ने कहा कि अमेरिका इस मामले पर अपने कोरियाई साथियों के साथ निकट संपर्क बनाए हुआ है.
प्रेक्षकों के अनुसार यह सन 1953 में कोरियाई युद्ध खत्म होने के बाद से सबसे बड़ी झड़पों में से एक है. यह झड़प ऐसे समय में हुई है, जब हाल ही में खबर आई थी कि उत्तर कोरिया की ओर से यूरेनियम का संवर्धन जारी है, जो उसे परमाणु हथियारों के लिए सामग्री प्रदान करेगा. इन खबरों के बाद अमेरिका के एक विशेष दूत इस क्षेत्र के देशों की यात्रा कर रहे हैं. उत्तर कोरिया का कहना है कि वह दो साल पहले स्थगित छह पक्षों की वार्ता फिर से शुरू करने के पक्ष में है. लेकिन सोल और वाशिंगटन की मांग है कि उत्तर कोरिया सबसे पहले पिछले दौर में किए गए वादों को पूरा करे. बीजिंग विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर जू फेंग का मानना है कि शायद वार्ता के लिए दबाव के साधन के रूप में ये हमले किए गए हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ए जमाल