कोस्टा कोन्कोर्डिया हादसे की पहली बरसी
१३ जनवरी २०१३योजना यह है कि जहाज को सीधा किया जाएगा और फिर उसे एक नजदीकी बंदरगाह तक ले जाया जाएगा, जहां उसके पुर्जों को अलग किया जा सके. अधिकारियों का कहना है कि काम इस साल गर्मियों की शुरुआत में किया जा सकता था, लेकिन एक फिर इसे सितंबर तक के लिए टाल दिया गया है. दिक्कत यह है कि इस जहाज के मलबे को हटाने का काम बेहद महंगा है. पहले इसे 30 करोड़ डॉलर आंका गया था, लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस काम में कम से कम 40 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा.
महंगा और मुश्किल काम
एक तरफ पर्यवारणविदों की ओर से दबाव है तो दूसरी ओर गिग्लियो के निवासी भी साल भर से जहाज को तट पर पड़ा देख तंग आ चुके हैं. उन्हें इस बात की भी चिंता सता रही है कि इस से वहां पर्यटन पर बुरा असर पड़ेगा. नागरिक सुरक्षा विभाग के अध्यक्ष फ्रांको गाब्रिएल हाल ही में एक प्रेस कॉन्फरेंस के दौरान खीझे हुए से दिखे. उन्होंने कहा, "ऐसा तो है नहीं कि मैं वहां जाऊं, जहाज को अपनी जेब में रखूं और वापस आ जाऊं." गाब्रिएल ने कहा कि लोगों को यह बात समझनी होगी कि यह एक बेहद मुश्किल काम है. साथ ही पर्यवारणविदों की चिंता को दूर करते हुए उन्होंने कहा, "मुझे हर रोज जो आंकड़े मिल रहे हैं, उन्हें देखते हुए मैं यह कह सकता हूं कि पर्यावरण पर इसका बहुत ही कम असर पड़ा है."
यह हादसा 13 जनवरी 2012 को हुआ जब कैप्टन की गलती से जहाज गिग्लियो द्वीप के बहुत पास पहुंच गया. गौरतलब है कि इसी साल टाइटैनिक दुर्घटना की 100वीं बरसी भी मनाई जा रही थी और जहाजों की सुरक्षा को ले कर चर्चा चल रही थी. जहाज पर 4229 लोग सवार थे जिनमें से 32 की जान गई. एक भारतीय और एक इतावली नागरिक के बारे में आज भी कुछ पता नहीं चल सका है. हादसे के लिए कैप्टन शेतिनो को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. यह भी आरोप है कि जैसे ही कैप्टन को इस बात का अंदाजा हुआ कि जहाज डूबने वाला है वह सबसे पहले जहाज छोड़ कर भाग निकले.
लोगों में गुस्सा
गिग्लियो द्वीप पर मारे गए लोगों की याद में एक शोख सभा रखी गई है. जहाज की कंपनी का कहना है कि इस समारोह में केवल मारे गए लोगों के परिवारों को ही बुलाया गया है. जहाज पर सवार सभी लोगों को पत्र लिखकर कंपनी ने कहा है, "हमें पूरी उम्मीद है कि आप यह बात समझ सकेंगे कि आप सब को यहां लाना हमारे लिए मुमकिन नहीं है. साथ ही ऐसी मुश्किल घड़ी में मारे गए लोगों के परिवार एकांत चाहते हैं." कई लोगों में इस पत्र को लेकर गुस्सा है. लोगों का कहना है कि जो यात्री इस हादसे में बचे वे भी एक बड़े सदमे से गुजरे हैं. इसलिए उन्हें उस पल को याद करने से रोका नहीं जा सकता.
एक दलील यह भी दी जा रही है कि द्वीप के लोगों को इतनी भीड़ से दिक्कत हो सकती है. इस बारे में एक यात्री का कहना है, "द्वीप पर रहने वाले लोग भी हमरे दर्द को समझते हैं. उस रात उन्होंने हमारे लिए जो किया हम उसके लिए उनका शुक्रिया अदा करना चाहते हैं." एक अन्य यात्री ने कहा, "वे हमें 100-100 यूरो देकर खरीदना चाहते थे. उन्होंने हमें कहा कि हम पैरिस या और किसी जगह चले जाएं क्योंकि हादसे की याद में तो कई जगह समारोह रखे जा रहे हैं."
आईबी/ओएसजे (एएफपी, डीपीए)