क्या चैंपियन लायक है जर्मन टीम
११ सितम्बर २०१२क्वालिफिकेशन राउंड के पहले मैच में जर्मन टीम ने पिछले शुक्रवार को हनोवर में फैरो द्वीप को 3-0 से हराया. मारियो गौएत्से चोट से उबर गए हैं और आने वाले वर्षों में जर्मन टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी होंगे. उन्होंने पहला गोल अकेले किया और कोच को दिखा दिया कि वे कितने मूल्यवान हैं. रियाल मैड्रिड के लिए खेलने वाले मेसुत ओएजिल ने भी अपना पुराना जलवा दिखाया और जर्मनी के लिए दूसरा गोल किया. आने वाले मैचों के लिए भी ओएजिल कीमती साबित हो सकते हैं.
इसके अलावा जर्मनी ने वही किया जिसकी उससे उम्मीद थी. 50 हजार की आबादी वाले देश की एक कमजोर प्रतिद्वंद्वी को आसानी से हरा दिया. आने वाले हफ्तों में फैरो द्वीप से ज्यादा तगड़ी टीमों से जर्मनी का मुकाबला होगा लेकिन ग्रुप सी में कोई भी टीम ऐसी नहीं है, जो जर्मनी के कोच योआखिम लोएव के माथे पर पसीने की बूंदें ला सके.
यूरो 2012 के क्वालिफाइंग राउंड में जर्मनी ने अपने 10 के 10 मुकाबले जीत लिए थे. कुछ ऐसा ही विश्वकप के क्वालिफाइंग दौर में भी होने की संभावना है लेकिन लोएव को पता है कि आसान क्वालिफाइंग राउंड ट्रॉफी जीतने की गारंटी नहीं होता. पिछले सालों में हुए मुकाबलों में आम तौर पर जर्मनी का दबदबा रहा है, लेकिन जब भी दोनों देशों की फुटबॉल टीम भिड़ती है तो जर्मनी के लिए 1978 की शर्मनाक याद ताजा हो जाती है. उस साल अर्जेंटीना विश्वकप में डिफेंडिंग चैंपियन जर्मनी ग्रुप के अंतिम मुकाबले में ऑस्ट्रिया से 2-3 से हार गया और टूर्नामेंट से आरंभिक दौर में ही बाहर हो गया. जर्मनी के कोच हेल्मुट शोएन के लिए वह अंतिम मैच साबित हुआ. कोरडोबा में हुए उस मैच को अब चमत्कार या शर्म के रूप में याद किया जाता है.
ऑस्ट्रिया की टीम फैरो की टीम से ज्यादा मजबूत है और वे अधिक तगड़े विरोधी हैं. दोनों देश पड़ोसी हैं और उनकी भाषा और संस्कृति भी एक जैसी है. इसे देखते हुए ऑस्ट्रिया के बहुत से खिलाड़ी जर्मन फुटबॉल लीग में खेलते हैं. ऑस्ट्रिया के कप्तान क्रिस्टियान फुक्स शाल्के के लिए खेलते हैं तो इमानुएल पोगाटेस वोल्फ्सबुर्ग के लिए. इसके अलावा जर्मन टीम का मुकाबला श्टुटगार्ट के लिए खेलने वाले मार्टिन हार्निक और ब्रेमेन के लिए खेलने वाले मार्को अर्नातोविच जैसे स्ट्राइकर से भी होगा.
जर्मन भाषा में डस टीम (द टीम) के नाम से जानी जाने वाली ऑस्ट्रिया की टीम यूरो 2012 के क्वालिफाइंग राउंड में भी जर्मनी के साथ एक ही ग्रुप में थी. वह हार का रिकॉर्ड बनाकर चौथे स्थान पर रही. पिछले 12 सालों में वह किसी महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में क्वालिफाई नहीं कर पाई है. वियना में होने वाले मैच में जर्मनी की आसान नहीं तो आरामदेह जीत की उम्मीद है. इस मैच के बाद भी सवाल यही रहेगा कि क्या टीम 2014 में विश्वकप जीतने लायक है.
रिपोर्ट: जैफरसन चेज/एमजे
संपादन: ए जमाल