क्या दुनिया को उत्तर कोरिया ने रुलाया?
१६ मई २०१७12 मई 2017 की शाम ब्रिटेन की सार्वजनिक मेडिकल सेवा एनएचएस का सिस्टम हैक हो गया. जैसे जैसे समय बीता वैसे वैसे दुनिया के 150 देशों के कई प्रतिष्ठान WannaCry मेलवेयर की चपेट में आ गए. विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम वाले कंप्यूटरों की स्क्रीन पर एक मैसेज बॉक्स आया. उस पर लिखा था कि "ऊप्स, आपकी फाइलें इनक्रिप्ट हो चुकी हैं." डाटा को छुड़ाने के लिए फिरौती मांगी गई. एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक इस हैकिंग की चपेट में कुल 3,00,000 कंप्यूटर आए. हालांकि अब इसका असर कमजोर पड़ रहा है.
तो आखिर इतने व्यापक साइबर हमले को कहां से अंजाम दिया गया. गूगल के रिसर्चर नील मेहता ने WannaCry मेलवेयर से काफी मेल खाता एक कंप्यूटर कोड पोस्ट किया है. इस तरह की बड़ी हैंकिंग आम तौर पर प्योंग्यांग का स्टाइल रही है. दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में इंटरनेट सिक्योरिटी फर्म, हाउरी के डायरेक्टर सिमोन चोई के मुताबिक हाल के हमले में जिस कोड का इस्तेमाल किया गया वह उन पुराने कोड्स से मेल खाता है, जिनका आरोप उत्तर कोरिया पर लगा.
चोई कहते हैं, "बीते साल मुझे इस बात के संकेत मिले थे कि उत्तर (कोरिया) फिरौती मांगने वाले वेयर का हमला करने की तैयारी कर रहा था या वह उन्हें शुरू कर चुका था, निशाने पर दक्षिण कोरिया की कुछ कंपनियां थी."
परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया साइबर हमलों के लिये भी बदनाम है. उत्तर कोरिया के साथ हजारों हैकरों की खास फौज है. ये हैकर उत्तर कोरिया और चीन में ऑपरेट करते हैं. नवंबर 2014 में सोनी पिक्चर्स अमेरिकी कॉरपोरेट इतिहास की सबसे बड़ी हैकिंग का शिकार हुई. उत्तर कोरिया पर तंज कसने वाली फिल्म "द इंटरव्यू" के रिलीज से पहले ही सोनी पिक्चर्स का सिस्टम हैक हो गया.
चोई को आशंका है कि ऐसे हमले और बढ़ेंगे, "मिसाइल या परमाणु परीक्षण से अलग, साइबर जगत में ऐसे हमले करने से वे आराम से इनकार कर सकेंगे और बच निकलेंगे."
इस्राएल की सिक्योरिटी फर्म इंटेजर लैब्स ने उत्तर कोरिया को जिम्मेदार ठहराया है. फर्म के चीफ एक्जीक्यूटिव इताई तेवेत ने एक ट्वीट में कहा, "इंटेजरलैब्स पुष्टि करती है कि उत्तर कोरिया का संबंध #WannaCry से है." दिग्गज टेलिकॉम कंपनी ऑरेंज की साइबर सिक्योरिटी ब्रांच के निदेशक मिशेल वान डेन बेर्घे के मुताबिक हमले की दूसरी लहर भी आ सकती है.
रूस, चीन और भारत ने इस साइबर हमले के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए पर आरोप है कि उसने WannaCry का असली कोड विकसित किया. अमेरिकी राष्ट्रपति के साइबर और होमलैंड सिक्योरिटी सलाहकार टॉम बॉसेर्ट ने इन आरोपों को निराधार बताया है, "फिरौती के लिए डाटा रखने वाला यह टूल एनएसए ने विकसित नहीं किया है. यह एक वैश्विक हमला है." बॉसेर्ट के मुताबिक इसका शिकार अमेरिका भी हुआ है.
वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि अमेरिका को इस हमले की जिम्मेदारी लेनी चाहिए. वन बेल्ट, वन रोड सम्मेलन में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "एक जिन्न को बोतल से बाहर निकाल दिया गया, जिसे खुफिया सेवाओं ने बनाया था. यह अपने लेखकों और निर्माताओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है." हाल के समय में रूस पर भी दूसरे देशों में साइबर दखल देने के आरोप लगे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रूसी हैकिंग की भूमिका की जांच भी हो रही है.
शक जताने और आरोपों के बीच एक बात तो साफ हो गई है कि साइबर हमला पूरी दुनिया को कितनी जल्दी अपनी चपेट में ले सकता है. अमेरिकी डिलिवरी कंपनी फेडएक्स, स्पेन की टेलिकॉम कंपनी टेलेफोनिका और जर्मनी की रेल कंपनी डॉयचे बॉन पर इस साइबर हमले का सबसे बुरा असर पड़ा. ब्रिटेन की मेडिकल सेवाओं, रूस के कार प्लांट और चीन के छात्र भी इसके शिकार बने.
(हैकरों के पंसदीदा टारगेट)
ओएसजे/एमजे (एएफपी)