भारत-चीन सैन्य गतिरोध के अंत के संकेत
१० जून २०२०लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच महीने भर से भी ज्यादा से बने गतिरोध के समाधान के संकेत आने शुरू हो गए हैं. खबर है कि लद्दाख के गलवान और हॉट स्प्रिंग इलाकों में दोनों देशों की सेनाओं ने धीरे-धीरे अपने अपने स्थानों से पीछे हटना शुरू कर दिया है. इसे एक अच्छा संकेत माना जा रहा है और अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही दोनों सेनाएं अपने पुराने स्थानों पर लौट जाएंगी.
हालांकि इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि पैंगोंग झील पर जहां दोनों सेनाओं के बीच सबसे बड़ा गतिरोध था वहां अभी भी स्थिति में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आए हैं. मीडिया में आई खबरों में सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ये गतिरोध की तीव्रता में कमी आने की शुरुआत भर है और गतिरोध को पूरी तरह से समाप्त होने में समय लगेगा. सेनाओं के पीछे हटने पर अभी तक सरकार का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
जानकार मान रहे हैं कि छह जून को दोनों सेनाओं की शीर्ष कमांडरों के बीच जो बातचीत हुई थी, ये उसी का नतीजा है. ये भी कहा जा रहा है कि गतिरोध की तीव्रता को और शांत करने के लिए आने वाले दिनों में दोनों सेनाओं के और भी अधिकारियों के बीच बातचीत होगी. उम्मीद है कि पैंगोंग पर कायम गतिरोध के समाधान के लिए एक बार फिर शीर्ष कमांडरों को बातचीत करनी होगी.
जानकारों का कहना है कि दोनों तरफ इस बात की सहमति बनी है कि कम से कम पांच स्थानों पर दोनों सेनाओं के बीच तनातनी हुई थी और इनमें से पैंगोंग के "फिंगर्स" इलाकों को छोड़कर बाकी सभी स्थानों पर सेनाएं पीछे हट रही हैं. झील के उत्तरी किनारे पर पहाड़ियों की चोटियां कहीं कहीं बाहर की तरफ निकली हुई हैं, जिन्हें "फिंगर्स" या उंगलियां कहा जाता है.
कुल आठ "फिंगर्स" में से चौथी फिंगर तक का इलाका भारत के नियंत्रण में है और चौथी और आठवीं फिंगर के बीच के इलाका विवादित है. इस इलाके में दोनों सेनाएं गश्त लगाती हैं और आमने सामने आ जाती हैं. कई जानकारों का मानना है कि इस बार इसी विवादित इलाके में चीनी सेना के सिपाही काफी आगे तक आ गए हैं, और भारत के इलाके पर कब्जा कर लिया है. हालांकि, सरकार ने इसे मानने से इनकार कर दिया है.
कई समीक्षक ये भी पूछ रहे हैं कि अगर वाकई चीन की सेना पीछे हटी है तो इस पर भारत सरकार ने कोई वक्तव्य क्यों नहीं दिया है. सुरक्षा मामलों के जानकार अजय शुक्ला ने ट्वीट कर चीनी सेना के पीछे हटने की खबरों पर संदेह जताया. वहीं एक और समीक्षक नितिन गोखले ने कहा कि दोनों सेनाएं निश्चित रूप से गतिरोध के समाधान की तरफ बढ़ रही हैं.
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