क्यों आलसी होते हैं आलसी जानवर
२ अगस्त २०११स्लॉथ मध्यम आकार के स्तनपाई जीव होते हैं जो हमेशा पेड़ों की डाल पर उल्टे लटके हुए दिखते हैं. दरअसल पेड़ की डाल से लटकना शरीर की ऊर्जा बचाने का इनका एक तरीका है. इन जानवरों के शरीर ने ऊर्जा बचाने के लिए खुद को इस तरह से ढाल लिया है.
जीव विज्ञानी मानते हैं कि स्लॉथ आलसी नहीं होते. ऐसा जरूर है कि वे ज्यादातर एक ही जगह पर लटके रहते हैं. जब वे हिलते हैं तो उनकी गति इतनी धीमी होती है कि हम उस पर ध्यान ही नहीं दे पाते. ये जानवर अधिकतर पत्ते और कीड़े ही खाते हैं. कम खाने के कारण शरीर में ऊर्जा भी कम ही होती है. इसीलिए ये कम हिलते हैं, ताकि कम से कम ऊर्जा का इस्तेमाल हो. पेड़ों पर लटके रहने के कारण इन्हें खाने की तलाश में कहीं जाना भी नहीं पड़ता. पत्ते और कीड़े दोनों ही इन्हें हमेशा आंखों के सामने ही दिख रहे होते हैं. बस जीभ निकाली और खाना निगल लिया.
स्लॉथ के चलने या हिलने का तरीका अन्य जानवरों के मुकाबले अलग नहीं होता. यह वैसे ही चलते हैं जैसे बंदर या बिल्ली. फर्क सिर्फ इतना है कि ये धीरे धीरे हिलते हैं. ये वैसा ही है जैसे कोई हमेशा ही स्लो मोशन में चले.
ट्रेडमिल पर स्लॉथ
ये इतना धीरे क्यों चलते हैं इस बात का पता लगाने के लिए जर्मनी की येना यूनिवर्सिटी के जीव वैज्ञानिक जॉन न्याकातुरा ने एक प्रयोग किया. न्याकातुरा ने अपने तीन स्लॉथ्स युलियुस, एल्विटा और लीसा के लिए एक खम्बा लगाया. वह देखना चाहते थे कि उनके ये स्लॉथ इस खम्बे पर किस तरह चलेंगे. यह खम्बा मशीन से चलता था, इसलिए स्लॉथ्स को इस पर जबरदस्ती चलना पड़ा, कुछ वैसे ही जैसे हम जिम में ट्रेडमिल पर चलते हैं. न्याकातुरा ने फिर एक्स-रे की मदद से इनका वीडियो तैयार किया और उसमें देखा कि स्लॉथ किस तरह चलते हैं. हड्डियों को ध्यान से देखने के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे, "उनकी टांगों का आकार और जोड़ों के मोड़ बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे अन्य स्तनपायी जीवों के होते है."
मांसपेशियां अलग
लेकिन स्लॉथ की मासपेशियां अन्य स्तनपायी जीवों से अलग जरूर हैं, "हमारे लिए घंटों तक डाल पर लटके रहना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन स्लॉथ को इसमें कोई दिक्कत नहीं होती, क्योंकि इसमें उनकी ऊर्जा खर्च ही नहीं होती है." स्लॉथ के शरीर ने खुद को ढाल लिया है, इसलिए वे जरूरी हालात में भी जल्दी हिल नहीं पाते. अगर जिस डाल पर वो लटके हैं वो टूट भी रही हो, तो भी वो फटाफट उसे छोड़ नहीं पाते हैं. वे तेज हों या न हों उनकी नाक बहुत तीखी होती है. न्याकातुरा बताते हैं, "हमने कई बार अपने प्रयोगों में यह पाया है कि वो पहले सूंघ कर सुनिश्चित करते हैं कि उस डाल पर चढ़ा जा सकता है या नहीं. जब उन्हें पूरा यकीन हो जाता है, उसके बाद ही वे डाल पर चढ़ते हैं."
स्लॉथ्स को आम तौर से ऐंट ईटर, आरमाडिलो या चींटीखोर के नाम से भी जाना जाता है.
रिपोर्टः ब्रिगिट ओस्टराथ/ ईशा भाटिया
संपादनः आभा मोंढे