खतरे में हैं दुनियाभर के एयरपोर्ट
२५ जनवरी २०११अमेरिका में 9/11 के बाद पूरी दुनिया में सरकारों ने हवाई यात्रा को आतंकवादी हमलों से बचाने के लिए भारी निवेश किया है. इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और आतंकवादियों को विमान पर चढ़ने से रोकने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. लेकिन ये सारे कदम विमानों के भीतर की सुरक्षा पर ही केंद्रित रहे और जमीन पर यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया है.
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी भवनों की तरह ही एयरपोर्ट भी आतंकवादियों का प्रमुख निशाना हैं. और वे भीड़भाड़ की वजह से आतंकवादियों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को मारने का मौका भी दे सकते हैं. एविएशन सिक्योरिटी इंटरनेशनल के संपादक फिलिप बाउम कहते हैं, "यह एक बड़ी सुरक्षा खामी है. एविएशन इंडस्ट्री ने तस्वीर के बड़े पहलू को नजरअंदाज किया है. उन्होंने सबसे आखिरी खतरे पर तो ध्यान दिया है लेकिन पहले पर नहीं. इसकी वजह यह है कि हम हमेशा प्रतिक्रियावादी होते हैं."
मॉस्को में रूस के सबसे व्यस्त हवाई अड्डे पर एक आत्मघाती हमलावर ने 35 लोगों की जान ले ली. यह हमला जमीन पर हुआ जबकि सुरक्षाबलों का सारा ध्यान विमानों की सुरक्षा पर लगा हुआ है. ब्रिटेन में एविशन उद्योग के लिए सुरक्षा सलाहकार का काम करने वाले क्रिस येट्स कहते हैं कि वह इस खतरे के बारे में कई साल से आगाह कर रहे हैं लेकिन आतंकवादियों को विमानों पर चढ़ने से रोकने की भागदौड़ में इसे हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा. वह कहते हैं, "बहुत सारे एयरपोर्ट तो खुले पड़े हुए हैं कि कोई उनमें जाए और खुद को धमाके में उड़ा दे."
9/11 के बाद उठाए गए कदमों ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी तो की है. लेकिन इस व्यवस्था ने तलाशी के लिए लगी लाइनों को लंबा ही किया है. और यह भी आतंकवादियों के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है क्योंकि लाइन में लगा आत्मघाती हमलावर काफी जानें ले सकता है.
पिछली बार हवाई अड्डों पर बड़ा आतंकी हमला 20 साल पहले हुए था. 27 दिसंबर 1985 को फलीस्तीनी आतंकवादी संगठन फतेह रेवॉल्यूशनरी काउंसिल ने रोम और विएना के हवाई अड्डों पर एक साथ हमला करके 19 लोगों की जानें ले ली थीं. और विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवादी इस तरीके का इस्तेमाल अब बढ़ा सकते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन