खिताब की खुमारी उतार रहे हैं फेटल
१४ अक्टूबर २०११कोरियाई ग्रां प्री की प्रैक्टिस में फेटल चौथे नंबर पर आए. दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बने फेटल जीत को आदत बनाना चाहते हैं लेकिन उन्हें खिताबी जीत के बाद संतुलित होने के लिए भी कुछ वक्त चाहिए. 24 साल के फेटल कहते हैं कि पोडियम पर सबसे ऊपर खड़े होने से बढ़कर कुछ नहीं है.
रेड बुल के फॉर्मूला वन ड्राइवर फेटल दो बार लगातार वर्ल्ड चैंपियन बनने वाले सबसे कम उम्र के ड्राइवर हैं. पिछले साल उन्होंने सबसे कम उम्र में वर्ल्ड चैंपियन बनने का कारनामा किया था. बीते रविवार जापान में हालांकि वह रेस जीत नहीं पाए लेकिन 2011 का वर्ल्ड चैंपियन खिताब उन्होंने जीत लिया. लेकिन जीत के बाद उनका ध्यान थोड़ा बंट गया. वह कहते हैं, "मेरा मतलब है कि आप पूरे साल जिस तरह सोचते करते रहे हैं, अचानक उसे बदल पाने पर थोड़ा भ्रम होता है. पहले ऐसा था कि इस वक्त जो हो रहा है उस पर पूरा ध्यान लगाना है और हर रेस को एक अलग मुकाबला मानना है. फिर अचानक आप कुछ बड़ा हासिल कर लेते हैं जो आपने शुरुआत में ही खुद के लिए अंतिम लक्ष्य तय किया था."
जीत का जश्न
फेटल मानते हैं कि खिताब की खुमारी उतरने में थोड़ा वक्त लगता है. वह कहते हैं, "खुद को यह यकीन दिलाने में थोड़ा वक्त लगता है कि अब इसे आपसे कोई नहीं छीन सकता. मुझे अपने करीबी लोगों के साथ थोड़ा वक्त चाहिए, अपने लिए थोड़ा वक्त चाहिए ताकि मैं इस सब को समझ सकूं, जज्ब कर सकूं."
फेटल के लिए यह सीजन शानदार रहा है. अब तक 15 में से उन्होंने नौ रेस जीती हैं, चार में वह दूसरे नंबर रहे. एक बार तीसरे नंबर पर आए और एक बार चौथे पर. अपनी इस उपलब्धि को देखने समझने के लिए फेटल को ज्यादा वक्त नहीं मिला है.
अभी साल की चार रेस और बची हैं जिन्हें रेड बुल 2012 के लिए प्रयोग करने पर इस्तेमाल करेगा. इसलिए फेटल और उनकी टीम का टॉप गियर बदल लेने का कोई इरादा नहीं है. इसलिए कुछ लोग तो 2000 से 2004 के बीच मिषाएल शूमाखर और फेरारी के दौर से इसकी तुलना करने लगे हैं. लेकिन फेटल अपने आदर्श शूमाखर से कोई तुलना नहीं करना चाहते. वह तो बस मौजूदा जीत के रोमांच को जीना चाहते हैं. इस रोमांच को वह कुछ इस तरह बयान करते हैं, "इसे तो जाहिर करना बहुत मुश्किल है. आप जानते हैं कि जिस हफ्ते रेस होती है, उस दौरान सब कुछ सही करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है, सिर्फ इसलिए कि आप सबसे आगे से रेस शुरू कर पाएं. फिर अगर आप रेस जीत जाएं और तब अपने राष्ट्र गान को बजते हुए सुनें तो उस अहसास की कोई तुलना ही नहीं है."
आलोचनाओं से झल्लाहट
फेटल मानते हैं कि वह हमेशा जीत के बारे में सोचते हैं और इसलिए न जीतना उन्हें खलता भी है. वह कहते हैं, "जब मैं जीतता नहीं हूं तो झल्ला जाता हूं. कई बार आलोचना सहना भी मुश्किल होता है." लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें आलोचना से परहेज है. वह कहते हैं, "आलोचना जरूरी है. मैं कई मामलों में अड़ियल हूं. कई बार लोग आपको नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते लेकिन उसे समझने में थोड़ा वक्त लगता है. बस मैं ऐसा खुद ही कर लेना चाहता हूं जबकि कई बार लोगों को सुनने से आसानी से समझ आता है."
सफलता के इन नकारात्मक पहलुओं की फेटल को समझ आ चुकी है. वह कहते हैं, "फॉर्मूला वन के ड्राइवरों में कोई असली दोस्ती नहीं होती और जीत से जलन तो होती ही है."
अब तो फेटल के सामने शूमाखर का रिकॉर्ड है जिसे वह जरूर तोड़ना चाहेंगे. लेकिन फेटल उन लोगों में से नहीं हैं जो अपने करियर की हर बात को बहुत करीने से सजा संवार कर चलना चाहते हैं. भविष्य के बारे में सोचते हुए भी वह वर्तमान को ही पूरी शिद्दत से जीना चाहते हैं.
रिपोर्टः डीपीए/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह