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खुद करेंगे मौतों की जांच, नहीं चाहिए मददः सीरिया

२७ अप्रैल २०११

सीरिया ने कहा है कि वह अपने यहां सरकार विरोधी प्रदर्शनों में हुई आम लोगों की मौतों की पारदर्शी तरीके से जांच करने में सक्षम है. उसे किसी बाहरी मदद की जरूरत नहीं है. संयुक्त राष्ट्र ने मौतों की स्वतंत्र जांच की मांग की.

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राष्ट्रपति बशर अल असदतस्वीर: picture-alliance/dpa

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून की तरफ से प्रदर्शनकारियों की मौतों की जांच की अपील पर सीरियाई दूत बशर जफारी ने कहा, "सीरिया एक राष्ट्र है और वहां एक सरकार है. हम अपने स्तर पर पारदर्शी तरीके से जांच कर सकते हैं. हम कुछ नहीं छिपाना चाहते." यूएन में सीरियाई दूत ने ये बातें सुरक्षा परिषद के चैंबर्स के बाहर कहीं, जहां सदस्य देशों के बीच प्रदर्शनकारियों पर सीरियाई सरकार की कार्रवाई की निंदा करने पर सहमति नहीं बन पाई.

नहीं चाहिए कोई मदद

जफारी ने आरोप लगाया कि कुछ विदेशी सरकारें सीरिया को अस्थिर करना चाहती हैं. अपने देश की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, "जो कुछ चल रहा है, हमें उस पर अफसोस है, लेकिन आपको भी यह मानना होगा कि अशांति और दंगों के पीछे किसी हद तक कुछ छिपे एजेंडे हैं." जब पत्रकारों ने सीरिया में अशांति के पीछे संभावित देश का नाम बताने को कहा, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में ब्यौरा देना अभी जल्दबाजी होगा.

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तस्वीर: AP/SANA

जफारी का यह बयान इन रिपोर्टों के बाद आया कि सीरियाई सरकार राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाकों और बनियास शहर में सुरक्षा बलों को तैनात कर रही है. अपने खिलाफ आंदोलन को टैकों से कुचलने के लिए राष्ट्रपति बशर अल असद की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सीरिया में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सरकारी कार्रवाई में अब तक लगभग 400 लोग मारे गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने आम लोगों की मौत की स्वतंत्र रूप से जांच की अपील की है जिन्हें उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी बताया है. वहीं जफारी ने बताया कि राष्ट्रपति असद ने सरकार को निर्देश दिया है कि सभी आम लोगों की मौतों की जांच के लिए एक राष्ट्रीय आयोग कायम किया जाए. लेकिन उन्होंने कहा, "हमें किसी की मदद की जरूरत नहीं है."

सीरिया पर बंटी दुनिया

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत सुजैन राइस ने कहा है कि उनका देश सीरिया पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार कर रहा है. उन्होंने कहा, "सीरियाई सरकार द्वारा अपने ही लोगों पर हिंसा का बर्बर इस्तेमाल घिनौना और निंदनीय है." उन्होंने 15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद से अपील की कि बुधवार को फिर सीरिया के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए.

ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और पुर्तगाल ने परिषद के बाकी 11 सदस्यों को एक बयान का मसौदा दिया है जिसमें सीरियाई बलों की हिंसक कार्रवाई की निंदा की गई है और सरकार से संयम की अपील की गई है. लेकिन इस बारे में चीन और रूस का रुख बेहद ठंडा है, जिसके चलते परिषद में सीरिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर संदेह पैदा होता है. उनका कहना है कि सीरिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों की योजना नहीं है.

सुरक्षा परिषद के ये दोनों वीटो अधिकार प्राप्त देश लीबिया में सुयंक्त राष्ट्र के जनादेश के मुताबिक हो रही कार्रवाई से खुश नहीं हैं. इन दोनों देशों को चिंता है कि इस कार्रवाई के तहत गद्दाफी को सत्ता से बाहर करने की कोशिश हो रही है जबकि यूएन के प्रस्ताव के मुताबिक वहां आम लोगों की सुरक्षा की खातिर हस्तक्षेप की अनुमति दी गई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह